बता दें कि जिले में दियारा से मार्टीनगंज, पवई, मुबारकपुर ठेकमा आदि क्षेत्रों में जहरीली शराब का कारोबार खुलकर होता है। कहीं न कहीं इसमें पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध मानी जाती रही है। जहरीली शराब से जिले में हुई बड़ी घटनाओं पर गौर करें तो 07 जुलाई 2017 को रौनापार थाना क्षेत्र के केवटहिया व जीयनपुर कोतवाली के अजमतगढ़ में जहरीली शराब पीने से 30 लोगों की मौत हुई थी। चार लोगों के आंखों की रोशनी चली गई थी। इस घटना को सीएम योगी ने गंभीरता से लिया था। उन्होंने सदन में शराब के अवैध कारोबार को जड़ से समाप्त करनेे का निर्देश दिया था लेकिन पुलिस ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
इसके पूर्व सपा सरकार में 18 अक्टूबर 2013 को मुबारकपुर थाना क्षेत्र के केरमा सहित आसपास के गांव में जहरीली शराब पीने से 56 लोगों की मौत हुई थी। उस समय छह लोगों के आंख की रोशनी चली गई थी। उससे पहले वर्ष 2009 में बरदह थाना क्षेत्र के इरनी गांव में जहरीली शराब पीने से जहां 10 लोगों की मौत हुई थी, वहीं उस घटना में भी चार लोगों के आंखों की रोशनी चली गई थी। छिटपुट घटनाएं तो जिले में आम बात हो चुकी है। प्रशासन की लापरवाही का परिणाम रहा कि अवैध शराब का कारोबार जिले में कुटीर उद्योग का रुप ले चुका है। खुलेआम जहरीली शराब की बिक्री हो रही है और इसे पीकर लोग मर रहे है। आजमगढ़ अंबेडकरनगर बार्डर पर हुई वारदात इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
अभी कुछ दिनों पूर्व निजामाबाद थाना क्षेत्र के फरिहां बाजार में कोरोना कर्फ्यू के दौरान पर पुलिस चैकी पर तैनात एक सिपाही कार में बैठकर शराब की दुकान से बिक्री करवाते देखा गया था। उसकी फोटो वायरल होने के बाद एसपी ने उसे निलंबित कर दिया था। पवई इलाके में अवैध शराब की बिक्री में भी पवई थाने के एक सिपाही का नाम सामने आ रहा है। उसकी की शह पर अवैध शराब का कारोबार मित्तूपुर बाजार में चल रहा था। इसके बाद भी आलाधिकारी मौन है। कार्रवाई के बजाय घटना को दूसरे जिले की बता मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं।
BY Ran vijay singh