सिधारी थाना क्षेत्र से गुजरने वाली फोरलेन सड़क निर्माण के लिए क्षेत्र के कई गांवों के किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई है। उन्हीं किसानों में बुदैठा ग्राम निवासी कोमल यादव भी शामिल है। अधिग्रहित की गई भूमि का मुआवजा देने के लिए जिस भूस्वामी का चयन किया है।
वह पिछले पांच साल से लापता है। भू-स्वामी के वारिस परिवार के ही एक सदस्य पर बुजुर्ग को अगवा कर लेने का आरोप लगाते हुए अधिग्रहित की गई भूमि के एवज में मिलने वाले मुआवजे पर रोक लगाने की जुगत में है, लेकिन मामला सरकारी दांवपेच में फंसा हुआ है।
इस बात से आहत चयनित किसान कोमल यादव के पौत्र विजयशंकर ने मंगलवार को दिन में कलेक्ट्रेट भवन में स्थित भमि अध्यापति कार्यालय के समक्ष शरीर पर मिट्टी का तेल डाल कर आत्मदाह की कोशिश किया। समय रहते आसपास के लोगों ने उसे देख लिया और आत्मदाह का प्रयास विफल हो गया। इस मामले को लेकर जिला प्रशासन में हलचल मची और देरशाम शहर कोतवाली पुलिस ने आत्मदाह का प्रयास करने वाले युवक को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया।
इस मामले में लापता कोमल यादव के पुत्र उमाकांत व शिवाकांत का कहना है कि वह तीन भाई थे। कुछ वर्ष पूर्व मेरे एक भाई रमाशंकर यादव की मौत हो गई। दिवंगत भाई का एक पुत्र हरिशंकर हरियाणा प्रांत के पानीपत शहर में रहता है।
लगभग पांच वर्ष पूर्व भतीजा हरिशंकर संपत्ति के लालच में मेरे पिता को अपने वश में कर लिया और उन्हें लेकर हरियाणा चला गया। दो वर्ष पूर्व हरिशंकर हमारे पिता कोमल यादव के साथ घर जिले में आया और पिता की संपत्ति का कुछ हिस्सा गांव के ही एक व्यक्ति को बैनामा कराकर चोरी छिपे वापस चला गया।
इस बात की जानकारी होने पर कोमल यादव की तलाश में हम दोनों भाई एवं दिवंगत भाई के बड़े पुत्र विजयशंकर के साथ पानीपत गए लेकिन पिता और भतीजे हरिशंकर का कोई सुराग नहीं मिला। इस संबंध में थाने से लगायत जिला अधिकारी तक से शिकायत दर्ज कराई गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
इसी बीच फोरलेन सड़क निर्माण में अधिग्रहित की गई भूमि के एवज में कोमल यादव के नाम एक करोड़ 36 लाख रुपये से ज्यादा की रकम उनके खाते में भेजने की तैयारी भूमि अध्यापति कार्यालय द्वारा शुरु की गई। इस बात की जानकारी पाकर परिवार के अन्य सदस्य मुआवजे की रकम में हिस्सेदारी को लेकर सक्रिय हुए।
कोमल यादव के परिजनों का आरोप है कि उन्हें छिपाकर रखने वाला पारिवारिक सदस्य संबंधित विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों से मिलकर मुआवजे की रकम को बंदरबांट करने की जुगत में लगा है। हम लोगों की कहीं सुनवाई नहीं हो रही। ऐसे में शासन व प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए हमारे पास आत्मदाह के अलावा कोई चारा नहीं बचा था।