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2019 चुनाव की तैयारियों में जुटी पार्टियां, इन नेताओं को दी गई बड़ी जिम्मेदारी

locationआजमगढ़Published: Sep 02, 2018 03:37:14 pm

Submitted by:

sarveshwari Mishra

बूथ से लेकर विधानसभा तक के पदाधिकारी और विधायक को सौंपी गई जिम्मेदारी

Political Party

पॉलिटिकल पार्टी

आजमगढ़. देश की सत्ता को हासिल करने के लिए राजनीतिक दल जहां गठबंधन के साथ तलाशने में जुटे हैं वहीं बूथ मैनेजमेंट और अधिक से अधिक अपने समर्थकों को मतदाता बनाने की कवायद में भी जुट गए हैं। पहली बार ऐसा है जब मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम में बूथ के कार्यकर्ताओं से लेकर सांसद और विधायक को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। सभी दल अधिक से अधिक समर्थकों को मतदाता बनाना और मतदाता को मतदान के दिन बूथ तक ले जाकर अधिक से अधिक वोटिंग कराना ही जीत का मूल मंत्र मान रहे हैं।

बता दें कि जिले में दो लोकसभा और दस विधानसभा है। इसमें एक लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं। आयोग के निर्देश पर एक सितंबर से 31 अक्टूबर तक मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसके तहत जहां एक जनवरी 2019 को 18 वर्ष आयुवर्ग के होने वाले सभी युवाओं को मतदाता सूची में शामिल करना है। वहीं सूची में जो गलत नाम है उनका संशोधन, मृतको और बाहर जा चुके अथवा दो स्थानों पर सूची में शामिल लोगों का नाम मतदाता सूची से हटाया जाना है।
आम तौर पर अब तक यह काम प्रशासन बीएलओ के माध्यम से कैंप लगाकर करता रहा है। प्रशासन के लोग हमेशा राजनीति दलों से इस काम में सहायोग मांगते रहे हैं लेकिन उन्हे आपेक्षित सहयोग कभी नहीं मिला। लेकिन इस बार राजनीतिक दल प्रशासन से भी तेजी दिखा रहे है। वजह साफ है। विपक्ष लगातार दो चुनाव हारने के बाद किसी भी हालत में बीजेपी को मात देना चाहती है। वहीं बीजेपी हाल में हुए उपचुनावों में मिली हार के बाद अपनी ताकत को और बढ़ाना चाहती है ताकि 2019 के चुनाव में यदि सपा बसपा में गठबंधन भी हो तो उसकी सेहत पर फर्क न पड़े।
इसके लिए सत्ताधारी दल के साथ ही विपक्ष ने भी अधिक से अधिक समर्थकों को मतदाता बनवाने का फैसला किया है। समाजवादी पार्टी ने विधानसभावार प्रभारी नियुक्त किया है जिसमें ज्यादातर विधायक या पूर्व विधायक शामिल किये गए है। वहीं बूथ स्तर पर भी अध्यक्षों और पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गयी है। रहा सवाल भाजपा का तो उसने बूथ, मंडल, ब्लॉक और तहसील स्तर के पदाधिकारियों को मैदान में उतार दिया है। इसके अलावा विधायक, पूर्व प्रत्याशी, पूर्व सांसद को भी जिम्मेदारी सौंपी गयी है। बसपा पहले ही बूथ स्तर तक के पदाधिकारियों को इस काम में लगा चुकी है। एक कांग्रेस को छोड़ दिया जाय तो ये तीनों दल पूरी ताकत के साथ मैदान में कूद गए है। इनका लक्ष्य बिल्कुल साफ है कि अपने लोगों को अधिक से अधिक मतदाता बनवाया जाय और विरोधी दल किसी तरह की चीटिंग कर कम उम्र के लोगों का इसमें शामिल न करा पाए। सब मिलाकर माहौल अभी से दिलचस्प हो गया है।
By- Ranvijay Singh

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