बता दें कि जिले में आलू की अच्छी खेती होती है। इस बार आलू की फसल अच्छी नहीं थी। बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से आलू की फसल को भारी नुकसान पहुंचा था। उत्पादन कम हुआ तो जमाखोर सक्रिय हो गये। उत्पादन कम हो या ज्यादा जरूरत को पूरी करने के लिए उसे बेचना किसान की मजबूरी होती है। इसका पूरा फायदा जमाखोंरों ने उठाया और पांच से छह रूपये प्रति किलों किसानों से आलू खरीदकर स्टोर कर लिया।
परिणाम रहा कि पिछले चार महीने से आलू 20 से 25 रूपये प्रति किलो बिकना शुरू हो गया। अब आलू के बोआई का समय चल रहा है तो किसानों को खाने के साथ ही बीज के लिए भी आलू की जरूरत है। खुद सरकार ने आलू का बीज किसानों को 3100 रूपये कंुतल दिया। वह भी मात्र सौ कुंतल जो ऊंट के मुंह में जीरा से अधिक नहीं है। अब जमाखोर आलू की कमी दिखाकर आम आदमी और किसानों को लूट रहे हैं। पिछले एक पखवारे में आलू की कीमत में 25 रूपये प्रति किलो की वृद्धि हुई है।
शहर में आलू 45 रूपये व गांव में 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। लोग खरीदने के लिए मजबूर हैं। खास बात है कि जिले के सात शीत भंडारण गृह में 10 हजार 164 मीट्रिक टन आलू स्टोर किया गया था। अक्तूबर तक नौ हजार 148 मीट्रिक टन आलू की ही यहां से निकासी की गई है। आलू की निकासी की धीमी रफ्तार से बाजार में दाम आसमान छूने लगे हैं। करीब एक हजार मीट्रिक टन आलू अभी शीत गृह में ही पड़े हैं। शीत भंडार गृहों से आलू न निकालने की बड़ी वजह मुनाफाखोरी मानी जा रही है।
वरिष्ठ निरीक्षक उद्यान दिनेश सिंह का कहना है कि शासन ने मामले को संज्ञान में लिया है। शासन के निर्देश पर जिले के सभी शीत भंडारण गृह संचालकों को नोटिस दिया गया है। संचालकों को 31 अक्तूबर तक शीत गृह खाली करने का आदेश दिया गया है। यदि निर्धारित समय तक शीत भंडार गृह से आलू की निकासी नहीं होती है तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
BY Ran vijay singh