बता दें कि सपा-कांग्रेस गठबंधन का सीधा फायदा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सीधा फायदा हुआ था। उस समय जिस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी नहीं थे पार्टी का वोट बीजेपी के साथ चला गया था और बीजेपी ने यूपी में प्रचंड बहुमत हासिल किया था। उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव से पहले सपा-बसपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन होगा। कांग्रेसियों ने इसके लिए प्रयास भी किया लेकिन सपा बसपा ने उसे गठबंधन से बाहर रखा। कारण कि उन्हें पता था कि बीजेपी इसका फायदा उठा सकती है। कांग्रेस यूपी में इस स्थिति में नहीं है कि वह अकेले दम पर सीटें हासिल कर सके।
यही वजह है कि कार्यकर्ताओं की मांग को देखते हुए पार्टी ने प्रियंका गांधी को चुनावी रण में बड़ी जिम्मेदारी के साथ उतार दिया। प्रियंका के पूर्वी यूपी का प्रभारी बनने से कांग्रेसी गदगद है। जो कांग्रेस निर्जीव सी दिख रही थी उसमें जान आ गयी है और चट्टी चौराहे से लेकर शहर तक पोस्टर और होर्डिंग लगने लगी है। कांग्रेसियों को भरोसा है कि प्रियंका की लोकप्रियता के कारण उसका पुराना वोट बैंक दलित और मुस्लिम उसके साथ आएगा। पार्टी क्षेत्रीय छोटे दलों के साथ गठबंधन कर यूपी का रण जीतने में अर्से बाद सफल होगी।
अंदरखाने से यह भी चर्चा आ रही है कि कांग्रेस शिवपाल यादव से हाथ मिलाकर बीजेपी और गठबंधन को मात देने की कोशिश करेगी। कारण कि पश्चिम में शिवपाल का अच्छा जनाधार है। सब मिलाकर चुनाव दिलचस्प होता दिख रहा है। मुस्लिम और दलित कांग्रेस की तरफ रूख करते हैं तो गठबंधन को नुकसान तय है लेकिन राजनीति के जानकार कम से कम इस चुनाव में ऐसी संभावना से इनकार कर रहे है। लेकिन इनका मानना है कि कांग्रेस के मजबूती से लड़ने पर बीजेपी को जरूर नुकसान उठाना पड़ेगा। कारण कि कांग्रेस के मतदाता पिछले दो चुनाव में बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुए जिसका फायदा पार्टी को मिला था। इस बार ऐसा होने की संभावना कम है।