यशवंत सिंह आजमगढ़ के रहने वाले हैं। वह लंबे समय से समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे। उन्हें सपा ने विधान परिषद का सदस्य बनाया। पर जब पार्टी में मुलायम सिंह यादव का काल खत्म हुआ और अखिलेश युग चला तो यशवंत सिंह एक तरह से पार्टी में किनारे कर दिये गए। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में सरकार बदली और भाजपा सत्ता में आ गयी। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बन गए। उनके मंत्री मंडल में कई मंत्री ऐसे थे जो चुनाव जीतकर नहीं आए थे। इसके लिये योगी सरकार को उन मंत्रियों को विधान परिषद के रास्ते यूपी के सदन में भेजना था।
सपा के एमएलसी बुक्कल नवाब और यशवंत सिंह ने विधान परिषद से इस्तीफा दे दिया और समाजवादी पार्टी का दामन भी छोड़ दिया। दोनों ने अपनी सीट भाजपा के मंत्रियों के लिये खाली की थी। तब खुद यशवंत सिंह ने कहा था कि उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिये सीट खाली की है। उनके जाने से समाजवादी पार्टी को बड़ा धक्का लगा था। यशवंत सिंह क्षत्रिय नेता हैं, जिनकी अच्छी पकड़ रही है। यशवंत सिंह का कनेक्शन प्रतापगढ़ के कुंडा से निर्दलीय बाहुबली विधायक राजा भइया के साथ भी रहा है। उनको राजा का काफी करीबी माना जाता है। वह राजा के समाजवादी पार्टी के साथ जुड़े रहने की कड़ी भी कहे गए।
भाजपा ज्वाइन करने के बाद वह भी पार्टी की ओर से कोई आदेश मिलने का इंतजार ही कर रहे थे। राज्य सभा चुनाव आया तो एक बार फिर उनके टिकट की चर्चा सियासी गलियारों में चली। पर भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इससे यशवंत समर्थक पार्टी से कुछ नाराज भी रहे। पर विधान परिषद चुनाव में भाजपा ने उनकी नाराजगी दूर करते हुए उनका कर्ज भी चुकाने की कोशिश की है।