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UP Assembly Election 2022: त्रिकोणीय संघर्ष में निर्णायक बने राजभर मतदाता, यहीं करेंगे तय किसके सिर सजेगा ताज

locationआजमगढ़Published: Feb 10, 2022 11:24:08 am

Submitted by:

Ranvijay Singh

UP Assembly Election 2022 आजमगढ़ जिले की दीदारगंज विधानसभा सीट पर चुनाव दिलचस्प हो गया है। उलेमा कौंसिल और एआईएमआईएम के मैदान में आने के बाद जहां चुनाव त्रिकाणीय हो गया है वहीं यह भी साफ है कि अब निर्णायक राजभर मतदाता होंगे। राजभर मतदाता जिसके साथ खड़े होंगे उसी के सिर जीत का ताज सजेगा। राजभर मतों को लेकर सर्वाधिक खींचतान सपा और बीजेपी में दिख रही है।

प्रतीकात्मक फोटो

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. UP Assembly Election 2022 यूपी विधानसभा चुनाव अब दिलचस्प मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है। खासतौर पर आजमगढ़ जिले की दीदारगंज सीट पर जहां एआईएमआईए और उलेमा कौंसिल के मैदान में आने के बाद मुस्लिम मतों में बिखराव तय माना जा रहा है। अब यहां निर्णायक की भूमिका में 70 हजार राजभर मतदाता हैं। ये मतदाता जिसके साथ खड़े होगे उसकी जीत तय मानी जा रही है। सपा ने यहां राजभर उम्मीदवार उतारकर बड़ा दाव खेल दिया है तो बीजेपी ने भी अति पिछड़े पर दाव लगाया है। दोनों ही दल राजभरों के साथ होने का दावा कर रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि राजभर जीत का ताज रखते किसके सिर पर हैं।

बता दें कि पिछले तीन दशक से यहां बारी बारी सपा और बसपा राज करती रही हैं। वर्ष 2012 में यहां सपा के आदिल शेख चुनाव जीते थे। इसके बाद वर्ष 2017 में यहां से बीएसपी के सुखदेव राजभर को जीत मिली। बीजेपी अब तक मात्र एक बार वर्ष 1991 की राम लहर में यह सीट जीती है। सपा ने इस चुनाव में आदिल शेख को टिकट न देकर बीएसपी नेता रहे सुखदेव राजभर के पुत्र कमलाकांत राजभर के मैदान में उतारा है। आदिल का टिकट कटने से मुस्लिम मतदाताओं मेें थोड़ी नाराजगी जरूर है लेकिन सपा का मानना है कि राजभर मतदाता उसके साथ हैं और मुस्लिम भी अंत में उन्हीं के साथ खड़ा होगा।

वहीं दसरी तरफ बीजेपी ने पिछला चुनाव लड़ चुके कृष्ण मुरारी विश्वकर्मा पर दाव लगाया है। जबकि बसपा से भूपेंद्र सिंह मुन्ना मैदान में हैं। पिछले चुनाव में सवर्ण और राजभर बीजेपी के साथ खड़े हुए थे। मुन्ना सिंह के मैदान में उतरने के बाद क्षत्रिय मतदताओं के बिखरने का डर बीजेपी को सता रहा है। वहीं दूूसरी तरफ इस चुनाव में सपा सुभासपा से गठबंधन कर मैदान में उतरी है। क्षेत्र में सत्तर हजार राजभर मतदाता हैं जिनमेें सुभासपा की गहरी पैठ है। इसलिए सपा को भरोसा है कि राजभर उसके साथ खड़ा होग और वह यादव, मुस्लिम तथा राजभर मतों की जुगलबंदी से चुनाव जीत जाएगी।

वहीं दूूसरी तरफ उलेमा कौंसिल ने यहां राष्ट्रय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी के पुत्र हुजैफा आमिर रशादी को मैदान में उतार दिया है। एआईएमआईएम से मो. जावेद मैदान में हैं। इससे मुस्लिम मतों में भी बिखराव का खतरा बना हुआ है जो सपाा को परेशान कर रहे है। जो हालात है उसमेें लड़ाई त्रिकाणीय दिख रही है। कारण कि वर्ष 2012 में यहां उलेमा कौंसिल प्रत्याशी को 32 हजार वोट मिले थे। ऐसे में राजभर मतदाता पूरी तरह से निर्णायक की भूमिका में दिख रहा है। यह जिसके साथ खड़ा होगा उसकी जीत लगभग तय हैं। सभी दल इन्हें रिझाने में लगे हैं। वहीं मतदाता अभी अपनी चुप्पी तोड़ने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि ये खड़े किसके साथ होते हैं।

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