मामला यूपी के आजमगढ़ जिले के दत्तात्रेय आश्रम का है। यहां सैकड़ों वर्ष पूर्व भगवान श्रीराम, सीता जी और लक्ष्मण जी की अष्टधातु की प्रतिमा स्थापित की गयी थी। जिसकी अंतराष्ट्रीय मार्केट में कीमत दो दशक पहले कीमत करोड़ों में थी। वर्ष 1999 में इस करोड़ों की प्रतिमा पर चोरों की नजर पड़ गयी थी। चोर तीनों प्रतिमाओं को चुरा ले गये थे। भगवान की मूर्ति चोरी के बाद जब भक्तों गुस्सा फूटा तो पुलिस ने प्रयास कर मूर्ति को बरामद कर लिया। उस समय बरामद प्रतिमा को मालखाने में रख दिया गया।
इसकी जानकारी होने पर मंदिर के महंत सरजूदास जी महराज बरामद प्रतिमा को मालखाने से निकालकर मंदिर में स्थापित करने के लिए कई वर्षो तक संघर्ष किये। उन्होने इस संबंध में थानाध्यक्ष, एसपी, डीआइजी से लगायत सीएम तक से गुहार लगायी लेकिन किसी ने नहीं सुनी। थक हार कर वे बैठ गये।
इसके बाद 2010 में भक्तों ने दोबारा महीनों तक लड़ाई लड़ी लेकिन पुलिस ने यह कहकर टाल दिया कि जबतक वहां पुलिस चौकी नहीं बन जाती वे करोड़ों की मूर्ति वहां स्थापित नहीं कराएंगे। कारण कि मूर्ति की चोरी का डर पुलिस को सता रहा था। भक्त भी मजबूर होकर शांत हो गए। आज भी भगवान मालखाने में कैद हैं। अब अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद भगवान श्रीराम के भक्त एक बार फिर दत्तात्रेय आश्रम में भगवान श्रीराम के आगमन का प्रयास शुरू कर दिये है।
भक्त चाहते हैं कि अयोध्या में भगवना श्रीराम के मंदिर की स्थापना के पहले विष्णु के अवतार दोबारा दत्तात्रेय आश्रम में स्थापित हो। क्षेत्र के लोगों ने एक बार फिर एसपी से गुहार लगाई हैं कि भगवान श्रीराम के कुनबे को कारागार से मुक्त कर मंदिर में स्थापित कर उनकी सुराक्षा को प्रबंध किया जाय। मामला संज्ञान में आने के बाद पुलिस अधीक्षक प्रो. त्रिवेणी सिंह ने लोगों को आश्वस्त किया है कि भागवान को जल्द ही उनके मंदिर में स्थापित किया जाएगा और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस संभालेगी। इससे भक्तों में उम्मीद जागी है कि शायद उनके श्रीराम का दो दशक का वनवास समाप्त होगा और फिर वे उनका हर दिन दर्शन कर सकेंगे। अब देखना होगा कि क्या दो दशक से मालखाने में कैद भगवान श्रीराम के कुनबे को रिहाई मिलती है या फिर पुलिस कप्तान का दावा पूर्व की तरह हवा हवाई ही साबित होता है।
By Ran Vijay Singh