बता दें कि मुबारकपुर सीट वर्ष 2002 व 2007 में बसपा के चंद्रदेव राम यादव करैली ने जीती थी। बसपा की सरकार बनने पर उन्हें लघु उद्योग मंत्री बनाया गया था लेकिन लैकफेड घोटाले में उन्हें जेल जाना पड़ा था। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतारा था। उस समय सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रामदर्शन यादव बीजेपी के टिकट पर यहां से चुनाव लड़े। वे चुनाव तो नहीं जीते लेकिन सपा के अखिलेश यादव को हराने में सफल रहे थे। बसपा यह सीट 776 मतों के मामूली अंतर से जीतने में सफल रही थी। वहीं सपा के क्लीन स्वीप के मंसूबे पर पानी फिर गया था।
इसके बाद वर्ष 2017 में रामदर्शन प्रसपा के टिकट पर मैदान में उतरे इस बार भी उन्होंने सपा का नुकसान किया। बसपा जमाली लगातार दूसरी बार विधायक बने। पिछले दिनों चंद्रदेव राम यादव करैली सपा में शामिल हो गए। अब जमाली भी सपा में नहीं है। ऐसे में बसपा की मजबूरी है कि वह नया प्रत्याशी मैदान में उतारे। वहीं दूसरी तरफ सपा से अखिलेश यादव, चंद्रदेव राम यादव करैली सहित आधा दर्जन लोग मुबारकपुर सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ चर्चा है कि यह सीट प्रसपा के खाते में चली गयी है।
अगर सीट प्रसपा के खाते में जाती है तो रामदर्शन का चुनाव लड़ना तय है। कारण कि वे न केवल शिवपाल के करीबी हैं बल्कि पार्टी से एक मात्र टिकट के दावेदार भी हैं। ऐसा होगा तो सपा से चुनाव लड़ने की उम्मीद पाले लोगों के झटका लगना तय है। वैसे पार्टी द्वारा अब तक आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है लेकिन सपाइयों की बेचैनी साफ दिख रही है।