मंगलवार को स्कूलों के सुरक्षा मानकों के रियलिटी चेक का प्रयास किया गया तो सेंट जेबियर्स स्कूल में बाहरी लोगों खुलेआम आते जाते दिखे। इस दौरान 8 सी क्लास रूम का पंखा छत से गिर गया। पंखे की चपेट में आने से शिक्षक को मामूली चोट आई लेकिन बच्चे बाल बाल बच गये।
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टाइनी टाट्स में मानक के विपरीत बच्चों को लाने और घर ले जाने के लिए छोटे वाहन को प्रयोग होते दिखा। जबकि स्कूल के लिए सिर्फ बड़ी बसों का ही रजिस्ट्रेशन होता है लेकिन यहां बच्चे आटो से भी घर पहुंचाये जाते हैं।
टाइनी टाट्स में मानक के विपरीत बच्चों को लाने और घर ले जाने के लिए छोटे वाहन को प्रयोग होते दिखा। जबकि स्कूल के लिए सिर्फ बड़ी बसों का ही रजिस्ट्रेशन होता है लेकिन यहां बच्चे आटो से भी घर पहुंचाये जाते हैं।
पैराडाइज सरायमीर में भी हालात बहुत अच्छे नहीं रहे। यहां स्कूल वाहन गांव के बाहर खडे होते हैं बच्चों को वहां तक अकेले आना होता है। शाम को बच्चों को गांव के बाहर ही छोड़ दिया जाता है। स्कूल के कुछ कमरों में सीसीटीवी कैमरे लगे है।
चिल्ड्रेन कालेज में व्यवस्था काफी हद तक ठीक दिखी। यहां बाहरी लोगों का प्रवेश पूरी तरह वर्जित दिखा। अभिभावक भी प्रधानाचार्य की अनुमति से ही स्कूल के भीतर प्रवेश कर पाते हैं। स्कूल में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं।
सर्वोदय इंटर कालेज और डिग्री कालेज में व्यवस्था ठीक दिखी। यहां गेट पर चार गार्ड गेट पर तैनात दिखे। गेट के भीतर प्रवेश करने से पहले हर किसी को रजिस्टर में अपना डिटेल इंट्री करना पड़ता है। कालेज में गेट से लेकर कमरों तक 35 सीसीटीवी कैमरे लगाये गये है। 50 और कैमरे लगाने का काम चल रहा है। बस स्कूल परिसर में ही खड़ी होती है लेकिन किसी चालक को सेकेंड गेट के भीतर प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।
बच्चों को लाने और छोड़ने के लिए शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। छात्रों ने बताया कि हर बस में चालक के साथ एक शिक्षक जाते है फिर वहीं उन्हें घर पहुंचाते है। चालकों का नंबर भी अभिभावकों को दिया गया है। साथ ही अभिभावक मीटिंग में जो समस्यायें सामने आती है उस आधार पर सुधार किया जाता है। प्रधानाचार्य एसपी दास का कहना है कि छात्रों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हम यहां तक गंभीर हैं कि लड़कों और लडकियों के लिए अलग-अलग व्यवस्था है। छात्र छात्राएं एक कमरे में नहीं बैठती। दोनों के लिए अलग अलग सेसन की व्यवस्था है। सीसी टीवी कैमरे सभी कमरों में लग रहे हैं।
by RAN VIJAY SINGH