बता दें कि सत्र 2020-21 का ईंट-भट्ठा संचालकों पर बकाया विनियमन शुल्क (रायल्टी) की वसूली को लेकर भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय सख्त हो गया है। समीक्षा बैठक में लंबित भुगतान को लेकर जिला प्रशासन की तरफ से भी कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है। जिले के 313 ईंट-भट्ठा संचालकों ने पिछले सत्र का 233.80 लाख रुपये विनियमन शुल्क अभी तक जमा नहीं किया। सभी तहसीलों के एसडीएम एवं खान निरीक्षक को निर्देशित किया गया है कि बकाया राजस्व की वसूली के लिए प्रभावी कार्रवाई की जाए। साथ ही पाथे गए कच्चे ईंट को नष्ट करते हुए जिनके भट्ठे संचालित हो रहे हैं, उसमें पानी भरवा दिया जाए।
विभाग के मुताबिक जिले में कुल 501 ईंट-भट्ठा पंजीकृत हैं, जिनके संचालकों पर सत्र 2020-21 का कुल 430.50 लाख रुपये विनियमन शुल्क बकाया था। नोटिस जारी होने के बाद दिसंबर तक 188 ईंट-भट्ठा संचालकों ने 196.70 लाख रुपये राजस्व जमा किए। इसमें 112 संचालकों ने बीते दिसंबर माह में 122.56 लाख रुपये जमा किए थे, लेकिन अभी भी 313 ईंट-भट्ठा संचालकों ने विनियमन शुल्क जमा नहीं किया और बिना शुल्क जमा किए ईंट की पथाई और चिमनी भी चालू कर दी है। ऐसे में इनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए एसडीएम व खान निरीक्षक को निर्देश दिए गए हैं।
अगर ऐसा होता है तो ईंट भट्ठा संचालकोें को करोड़ों का नुकसान होगा और नुकसान की भरपाई के लिए वे ईंट का दाम बढ़कर इसकी भरपाई करेंगे। इसके अलावा जब 188 ईंट भट्ठों पर ही ईंट तैयार होगा तो मांग के सापेक्ष आपूर्ति का संकट भी आएगा जिसका फायदा उठाने की कोशिश ईंट भट्ठा संचालक करेंगे। ऐसे में घर बनाने की लागत बढ़नी लगभग तय है।
BY Ran vijay singh