बता दें कि आजमगढ़ जिला हमेंशा से सपा बसपा का गढ़ रहा है। वर्ष 1991 की राम लहर में भी बीजेपी यहां कोई करिश्मा नहीं कर पाई थी। जिले की 10 विधानसभा सीटों में से उसे आठ सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। सिर्फ सुरक्षित सीट सरायमीर व मेंहनगर में बीजेपी को जीत मिली थी। इसके बाद 1996 में लालगंज सीट जीतने में सफल रही थी। इसके बाद उसे विधानसभा में खाता खोलने के लिए वर्ष 2017 तक इंतजार करना पड़ा। यूपी में प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली बीजेपी को आजमगढ़ में मात्र एक सीट फूलपुर पर जीत मिली थी।
अब विधानसभा चुनाव 2022 में चंद महीने बाकी हैं। राजनीतिक दल चुनाव तैयारी में जुटे हुए हैं। वहीं भाजपा आपस में ही लड़ती नजर आ रही है। दरअसल एक सप्ताह पूर्व जिले के प्रभारी मंत्री सुरेश राणा का यहां आगमन हुआ था। उसी दौरान शहर के बवाली मोड़ पर भाजयुमो जिलाध्यक्ष निखिल राय और भाजपा लालगंज जिलाध्यक्ष ऋषिकांत राय के बीच विवाद हो गया था।
मामला मामला मारपीट तक पहुंच गया था। उस समय पार्टी के वरिष्ठ लोगों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हो गया था। लेकिन अब यह विवाद काफी बढ़ चुका है। भाजपा लालगंज जिलाध्यक्ष ऋषिकांत राय ने इस मामले की शिकायत क्षेत्रीय अध्यक्ष डा. धर्मेंद्र से की है। उन्होंने भाजयुमो जिलाध्यक्ष निखिल राय के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही कार्रवाई न करने की दशा में लालगंज इकाई का सामूहिक इस्तीफा स्वीकार करने का अनुरोध किया है।