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शुरू हुआ सरस संगीतमय श्रीमद्भागवत सप्ताह प्रेमयज्ञ

locationआजमगढ़Published: Sep 17, 2018 07:56:35 am

प्रभाकर फाउंडेशन और मां बुद्धा एजुकेशनल ग्रुप की ओर से हुआ हे आयोजन।

आजमगढ़. प्रभाकर फाउण्डेशन एवं मां बुद्धा एजूकेशनल ग्रुप के संयुक्त तत्वावधान में मां बुद्धा पालिटेक्निक कालेज निजामाबाद पर चल रहे सरस संगीतमय श्रीमद्भागवत सप्ताह प्रेमयज्ञ की पहली रात प्रवचन करते हुए काशी के विद्वान व्यास पं गजेन्द्र शुक्ल शास्त्री ने कहा कि श्री मद्भागवत गीता जीवन का सार है। उन्होंने कहा कि इसे महज एक पुस्तक मात्र समझने की भूल किसी भी मानव को नहीं करना चाहिए।
पं शास्त्री ने कहा कि श्रीमद्भागवत योगिराज भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमूर्ति है। इस महान धर्मग्रन्थ में जीवन के सारे रहस्य हैं। साथ ही जीवन के रहस्यों की गुत्थी भी इसी से सुलझायी जा सकती है। जिसने भी इस महान ग्रन्थ के कुछ ही अंश को जीवन में उतारा, उसका जीवन काफी आसान हो जाता है। जीवन जीने की सम्पूर्ण कला इस महान ग्रन्थ में विद्यमान है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत का श्रवण करने से पापी व दुराचारी व्यक्ति को भी मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। यही वजह है कि हमारी मान्य धर्मपुस्तक श्रीमद्भागवत गीता ही है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत में हर समस्या का समाधान मौजूद है। यह धर्मग्रन्थ अन्याय के खिलाफ लड़ने और अधिकार के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देता है। ऐसे में इसके महात्म्य को कतई नहीं झुठलाया जा सकता है।
पं शास्त्री ने कहा कि आज इंसान अपने में ही खुद को इतना उलझा लिया है कि उसे प्रभु को स्मरण करने का भी समय नहीं है। जबकि सच तो यह है कि उसके पास समय ही समय है। बस वह जरूरी नहीं समझता कि परम पिता परमेश्वर को स्मरण करे। उन्होंने कहा कि यही प्रवृत्ति इंसान को गर्त में ले जा रही है और भोग विलास में लिप्त रहकर ईश्वर का स्मरण न करने के कारण ही शरीर के त्याग के बाद वह नर्कलोक का वासी बनता है और तरह-तरह के दुखों को सहता है। उन्होंने कहा कि यदि मनुष्य समय रहते ही चेत जाय और ईश्वर के आराधना में भी थोड़ा सा समय लगाये तो उसे बार-बार के जीवन-मृत्यु के झंझावतों से मुक्ति मिल जाती है और इस जीवन में वह दुनियां के सारे सुख-वैभव को प्राप्त करता है।
पूजन का विधान बताते हुए पं शास्त्री ने कहा कि जिस समय हम ईश्वर की आराधना में लीन हों उस समय सारी दुनियादारी की फिक्र छोड़ देनी चाहिए। पूरा ध्यान ईश्वर पर लगाना चाहिए। ऐसा होने पर ही भक्त का भगवान से सीधा साक्षात्कार होता है और एक दिन ऐसा भी आता है कि उस परमब्रम्ह में लीन होकर वह खुद इंसान के पूजा का पात्र बन जाता है। उन्होंने यज्ञ के महात्म पर भी प्रकाश डाला। कहा कि, यज्ञ से मन के पवित्र होने के साथ ही वातावरण भी शुद्ध होता है। एक परिवार नहीं यज्ञ से समूचा समाज लाभान्वित होता है। ऐसे में हर व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार यज्ञ जरूर कराना चाहिए।
इस संगीतमय भागवत कथा के दौरान काशी के अनेक कलाकार, वैदिक ब्राह्मण, कालेज परिवार के सदस्य के साथ ही क्षेत्र के हजारों लोग मौजूद रहे और मन से कथा का श्रवण किया। श्रद्धालुओं के प्रति आभार मां बुद्धा एजूकेशनल ग्रुप के प्रबन्धक एवं प्रभाकर फाउन्डेशन के मुखिया अजय कुमार एवं उनकी धर्मपत्नी डा सुमन यादव ने ज्ञापित किया।
By Ran Vijay Singh

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