scriptचाचा ने भतीजे को दिया अभयदान तो बुआ को इम्तेहान में फंसाया | Shivpal yadav increase Mayawati tension on Lalganj Loksabha seat | Patrika News

चाचा ने भतीजे को दिया अभयदान तो बुआ को इम्तेहान में फंसाया

locationआजमगढ़Published: Apr 28, 2019 08:17:21 pm

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

आजमगढ़ सीट पर जानबूझकर कमजोर प्रत्याशी देने और फिर गलती कर पर्चा खारिज कराने का आरोप, लालगंज में सपा के कद्दावर नेता रहे हेमराज पासवान को उतारा मैदान में

Shivpal mayawati and akhilesh

शिवपाल मायावती और अखिलेश

आजमगढ़. मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में इस समय प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव काफी चर्चा में हैं। बहू डिंपल के खिलाफ प्रत्याशी हटाने के बाद यह चर्चा शुरू हो गयी थी कि शिवपाल यादव सपा को लाभ पहुंचा रहे है फिर भी बड़ा तबका यह मानने को तैयार नहीं था लेकिन आजमगढ़ में शिवपाल यादव ने जिस तरह अनजान चेहरे को मैदान में उतारा और फिर नामाकंन में गलती के कारण उसका पर्चा खारिज हुआ और लालगंज में बसपा के खिलाफ मंझे हुए खिलाड़ी को उतार दिया उससे राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गयी है। अब आम आदमी भी यह कहने लगा है कि 36 पर अखिलेश और बाकी सीट पर चाचा शिवपाल लड़ रहे हैं। उन्होंने बहू और भतीजे को अभयदान दे दिया लेकिन बुआ को कड़े संघर्ष में फंसा दिया है।

इसके पीछे कहीं न कहीं तथ्य भी है। चुनाव से पहले शिवपाल यादव का दावा था कि मुलायम सिंह को छोड़कर बाकी के खिलाफ मजबूत प्रत्याशी उतारेंगे। माना जा रहा था कि आजमगढ़ में अखिलेश के खिलाफ राम दर्शन जैसा दमदार प्रत्याशी होगा जो पूर्व में कई बार भाजपा और सपा को मात दे चुका है लेकिन शिवपाल ने अंतिम समय में टिकट की घोषणा की और अवनीश सिंह जैसे नए चेहरे को मैदान में उतार दिया। जिसका कोई रानजीतिक कैरियर नहीं है। जबकि लालगंज सीट जो बसपा के खाते में है उसपर प्रत्याशी की घोषणा महीनों पहले कर दी गयी थी। बहरहाल अवनीश ने नामाकंन तो किया लेकिन उनके नामाकंन में कई त्रुटियां पायी गयी, जिसके कारण उनका पर्चा रद्द कर दिया गया। अब यहां सीधी लड़ाई अखिलेश और भाजपा प्रत्याशी निरहुआ के बीच हो गयी हैं। कारण कि यहां कांग्रेस ने भी प्रत्याशी नहीं उतारा है। अवनीश भी पर्चा खारिज हुआ तो बीजेपी के साथ चले गए।

अब बात करें लालगंज सीट की तो गठबंधन में बसपा के खाते में गयी और बसपा ने यहां से लालगंज विधायक अरिमर्दन आजाद की पत्नी संगीता आजाद को मैदान में उतारा। वहीं शिवपाल यादव ने सपा के कद्दावर नेताओं ने शामिल रहे हेमराज पासवन को अपना उम्मीदवार बना दिया। हेमराज की दो विधानसभा में गहरी पैठ है। हेमराज पासवान का राजनीतिक कैरियर पर गौर करें तो उन्होंने वर्ष 1984 में लोकदल से राजनीतिक सफर शुरू किया था। लोकदल से चुनाव लड़ते हुए वे 800 वोट से सरायमीर विधानसभा चुनाव से हारे थे।
इसके बाद वे वर्ष 1991 में जनता दल, 1993 व 1997 में सपा तथा वर्ष 2002 में जद यू से सरायमीर विधानसभा से चुनाव लड़े थे। बाद में फिर सपा में चले गए। हेमराज की अदर दलित और पिछड़ों में गहरी पैठ है। ऐसे में वे कम से कम तीन विधानसभा दीदारगंज, फूलपुर और निजामाबाद में गठबंधन को नुकसान पहुंचा रहे हैं। वैसे ऐसा नहीं है कि नुकसान सिर्फ गठबंधन का है पासी मत अगर उनके पाले में गए तो भाजपा को भी नुकसान होगा लेकिन गठबंधन की अपेक्षा उसका प्रतिशत काफी कम है।
BY- RANVIJAY SINGH

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो