इसके पीछे कहीं न कहीं तथ्य भी है। चुनाव से पहले शिवपाल यादव का दावा था कि मुलायम सिंह को छोड़कर बाकी के खिलाफ मजबूत प्रत्याशी उतारेंगे। माना जा रहा था कि आजमगढ़ में अखिलेश के खिलाफ राम दर्शन जैसा दमदार प्रत्याशी होगा जो पूर्व में कई बार भाजपा और सपा को मात दे चुका है लेकिन शिवपाल ने अंतिम समय में टिकट की घोषणा की और अवनीश सिंह जैसे नए चेहरे को मैदान में उतार दिया। जिसका कोई रानजीतिक कैरियर नहीं है। जबकि लालगंज सीट जो बसपा के खाते में है उसपर प्रत्याशी की घोषणा महीनों पहले कर दी गयी थी। बहरहाल अवनीश ने नामाकंन तो किया लेकिन उनके नामाकंन में कई त्रुटियां पायी गयी, जिसके कारण उनका पर्चा रद्द कर दिया गया। अब यहां सीधी लड़ाई अखिलेश और भाजपा प्रत्याशी निरहुआ के बीच हो गयी हैं। कारण कि यहां कांग्रेस ने भी प्रत्याशी नहीं उतारा है। अवनीश भी पर्चा खारिज हुआ तो बीजेपी के साथ चले गए।
अब बात करें लालगंज सीट की तो गठबंधन में बसपा के खाते में गयी और बसपा ने यहां से लालगंज विधायक अरिमर्दन आजाद की पत्नी संगीता आजाद को मैदान में उतारा। वहीं शिवपाल यादव ने सपा के कद्दावर नेताओं ने शामिल रहे हेमराज पासवन को अपना उम्मीदवार बना दिया। हेमराज की दो विधानसभा में गहरी पैठ है। हेमराज पासवान का राजनीतिक कैरियर पर गौर करें तो उन्होंने वर्ष 1984 में लोकदल से राजनीतिक सफर शुरू किया था। लोकदल से चुनाव लड़ते हुए वे 800 वोट से सरायमीर विधानसभा चुनाव से हारे थे।