बता दें कि समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह के संसदीय क्षेत्र में अपना पुराना वर्चस्व कायम रखना चाहती है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह मुलायम सिंह यादव हारते-हारते बचे थे, उससे सपाइयों के होश अबतक उड़े हुए हैं। गठबंधन के बाद भी उन्हें अपनी सीधी जीत का भरोसा नहीं। वे मानकर चल रहे हैं कि भाजपा के बाहुबली रमाकांत यादव से उन्हें कड़ी चुनौती मिलने वाली है। खासतौर पर शिवपाल यादव के पार्टी बनाकर मैदान में आने के बाद।
यही वजह है कि बीजेपी को झटका देने के लिए सबसे पहले पूर्व सांसद दारोगा प्रसाद सरोज को सपा में लेने का प्रयास जारी है। सूत्रों के मुताबिक जल्द ही इसकी घोषणा हो जाएगी। इसके अलावा सपा शिवपाल की पार्टी को यहां कमजोर करने में जुट गयी है। खुद अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव यादव ने हाल में आजमगढ़, मऊ, बलिया, गाजीपुर की कई महिला नेत्रियों को अपने आवास पर बुलाकर उनकी बातें सुनीं और अखिलेश के लिए पार्टी में वापस आने की अपील की। उक्त महिला नेत्रियां वापसी का मन बना चुकी है। इनका कहना है कि जल्द ही वे पद से त्यागपत्र देंगी। चुनाव से पहले उनकी सपा में वापसी लगभग पक्की है।
इसी तरह कई पुरूष नेताओं के संपर्क में सपाई बने हुए हैं। ये वो नेता हैं जो चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं। उक्त लोगों को भी मनाने का काम चल रहा है। खुद प्रसपा के नेता इस बात को मान रहे हैं कि सपाई उनके संपर्क में है। सपा-बसप गठबंधन के बाद इन्हें भी प्रसपा का कोई भविष्य नहीं दिख रहा। इसलिए ये लोग भी वापसी का मन बना रहे हैं। वैसे अभी कोई नेता नहीं चाहता कि उनका नाम सामने आये। वे तभी सामने आना चाहते हैं कि जब उनकी वापसी हो जाय।
By Ran Vijay singh