बता दें कि पूर्व विधायक सर्वेश सिंह हत्याकांड के मुख्य गवाह मुख्तार अंसारी के करीबी हिस्ट्रीशटर अजीत सिंह की बुधवार को लखनऊ में हत्या कर दी गयी थी। अजीत की हत्या के बाद अन्य गवाहों पर भी खतरा बना हुआ है। पूर्व विधायक की पत्नी विधायक वंदना सिंह सुरक्षा के लिए सीएम से मिल चुकी हैं। वहीं दूसरी तरफ पुलिस की जांच में लगभग साफ हो चुका है कि तीनों शूटर आजमगढ़ से लखनऊ हत्या से तीन दिन पूर्व रविवार को ही लखनऊ पहुंच गए थे।
जांच में अब तक सामने आये तथ्योें से साफ है कि अजीत की हत्या की प्लानिंग महीनों पहले से चल रही थी। प्लान इतना फुल प्रूफ था कि पुलिस तो दूर हमेंशा सुरक्षा घेरे में रहने वाला हिस्ट्रीशीटर अजीत भी नहीं समझ पाया। हत्या की प्लानिंग में शामिल लोगों ने छठ पूजा के दिन ही चिरैयाकोट जनपद से एक बाइक चोरी की थी। यह बाइक आजमगढ़ जिले के जहानागंज थाना क्षेत्र के मोलनापुर गांव निवासी नरसिंह यादव की थी। वहीं शूटरों को पहुंचाने व उन्हें भगाने के लिए इस्तेमाल की गयी डस्टर कार मुंबई के एक कारोबारी से खरीदी गयी लेकिन सोची समझी साजिश के तहत उसका कागज ट्रांसफर नहीं कराया गया। डस्टर लंबे समय तक आजमगढ़ पल्हनी कालोनी में रह रहा प्रिंस का परिवार इस्तेमाल करता रहा।
यही नहीं जो सबसे अहम बात सामने आ रही है वह है शूटरों के आजमगढ़ से लखनऊ पहुंचने का तरीका। शूटरों ने पहले चोरी की बाइक बड़ी ही आसानी से लखनऊ पहुंचा दिया फिर मुंबई के नंबर की कार से खुद लखनऊ पहुंचे। सूत्रों की मानें तो शूटर और उनकों लखनऊ तक पहुंचाने वाले लोग अपना मोबाइल नंबर ट्रू कालर पर एसटीएफ वाराणसी के नाम पर सेव किये थे। रविवार को जब वे आजमगढ़ से लखनऊ गए तो रास्ते में उन्हें चेकिंग में कुछ स्थानों पर लोकल पुलिस ने रोका भी लेकिन वे उसी नंबर से अपने ही लोगों से बात कराकर पुलिस को चकमा दे दिये। नंबर एसटीएफ के नाम पर सेब देख पुलिस ने भी विभागीय समझ गंभीरता नहीं दिखाई और उनके वाहन का कागज आदि चेक नहीं हुआ। जिसके कारण वे आसानी से लखनऊ पहुंच गए।
अजीत की हत्या में नामजद अखंड सिंह के करीबी कबुतरा गांव निवासी जिस व्यक्ति की तलाश में पुलिस जुटी है उसके गनर का नंबर खुद ट्रू कालर पर एसटीएफ वाराणसी के नाम से सेव है। जिसका स्क्रीन शाट खूब वायरल हो रहा है। इससे जारिह है कि पूरी घटना को कितने शातिराना ढंग से अंजाम दिया गया है। बहरहाल पुलिस ने हत्याकांड की गुत्थी को लगभग सुलझा लिया है बस आरोपियों की गिरफ्तारी होनी बाकी है लेकिन जिस तरह से लंबी प्लानिंग के तहत इस घटना को अंजाम दिया गया है उससे पुलिस की चुनौती काफी बढ़ गयी है। कारण कि सर्वेश सिंह हत्याकांड में अभी आधा दर्जन लोगों की गवाही बाकी है और आरोपी कभी नहीं चाहेंगे कि गवाह उनके खिलाफ कोर्ट में गवाही दें।
BY Ran vijay singh