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गठबंधन पर भारी पड़ सकता है सपा का यह नारा, बीजेपी भी कर रही है भुनाने की कोशिश

locationआजमगढ़Published: Feb 14, 2019 04:07:29 pm

Submitted by:

sarveshwari Mishra

38 पर लाल लड़ेगा, बाकी पर शिवपाल लड़ेगा

Akhilesh Yadav

Akhilesh Yadav

आजमगढ़. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया यूपी में गठबंधन के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है। गठबंधन जहां शिवपाल की पार्टी को भाजपा की बी-टीम साबित करने में जुटा है वहीं खुद सपाइयों द्वारा लगाया गया एक नारा 38 पर लाल लड़ेगा बाकी पर शिवपाल लड़ेगा खुद उनके लिए मुसीबत बन गया है। एक बड़ा तबका गठबंधन और शिवपाल से सपा के रिश्ते को लेकर संसय में पड़ गया है। कारण यह है कि पूर्व में भी चाचा भतीजे के बीच तलवारें खिंच चुकी हैं और मुलायम सिंह के हस्तक्षेप के बाद दोनों एक मंच पर नजर आए है। मुलायम सिंह यादव आज भी भाई और बेटे के साथ खड़े नजर आते है। इसलिए यह संसय और बढ़ गया है। बड़ी संख्या में लोग इसे मायावती के जनाधार को मिटाने की साजिश के तौर पर भी देख रहे है।

बता दें कि वर्ष 2016 में कौएद के सपा में विलय के बाद अखिलेश और शिवपाल के बीच विवाद शुरू हुआ था। उस समय अखिलेश ने शिवपाल ही नहीं बल्कि उनके करीबी बलराम यादव, गायत्री प्रसाद सहित कई लोगों से कुर्सी छीन ली थी लेकिन बाद में बलराम को मंत्रालय दिया गया तो गायत्री पर भी अखिलेश मेहरबान हो गए। चाचा भतीजे के बीच दूरी जरूर रही। बाद में अखिलेश यादव खुद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। मुलायम सिंह तभी से दोनों खेमों में दिखाई देते हैं। यहां तक कि शिवपाल द्वारा प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के गठन के बाद भी मुलायम सिंह उनके मंच पर नजर आये। यहीं नहीं इस दौरान भी उन्होंने भाई और बेटे दोनों की तारीफ की।

यहीं वजह है कि मतदाता संसय में है कि खासतौर पर यादव जाति का बुजुर्ग जो हमेशा से मुलायम के साथ रहा है। वहीं अखिलेश यादव यह साबित करने में जुटे है कि प्रसपा बीजेपी की बी-टीम है जबकि पूरे पूर्वांचल में यह नारा चर्चा में है कि 38 पर लाल लड़ेगा बाकी पर शिवपाल लड़ेगा। इससे दलित भी संसय में फंसता जा रहा है कि कहीं मुलायम सिंह यादव भाई के साथ मिलकर उन सीटों पर दमदार उम्मीदवार न उतारवा दें जो बसपा के खाते में गयी है। अगर बसपा को मिली सीटों पर सपा का वोट प्रसपा के साथ चला गया तो मायावती के लिए पार्टी का वजूद बचाना मुश्किल हो जाएगा। संसय इसलिए और भी बढ़ रहा है कि मुलायम के चरखा दाव से सभी वाकिफ हैं और उन्होंने कई महारथियों के अपने इस दाव से चित भी किया है। मायावती से मुलायम का हमेशा से छत्तीस का आंकड़ा रहा है। मतदाताओं के इस संसय का फायदा विपक्ष खासतौर पर भाजपा और कांग्रेस उठाने की कोशिश कर रही है। बड़ी संख्या में यादवों को भी यह भरोसा है कि चुनाव के बाद चाचा भतीजा एक साथ आ जाएगे।
BY- Ranvijay Singh

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