बता दें कि इटावा में जिला कार्यसमिति की बैठक के दौरान प्रोफेसर राम गोपाल ने कहा है कि समाजवादी पार्टी जनवरी के अंत तक पार्टी प्रत्याशियों के नाम का एलान कर देगी और पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। इसी बयान के बाद से ही बखेड़ा खड़ा हो गया है। वैसे पूर्व में मुलायम सिंह और अखिलेश भी उनके आजमगढ़ से चुनाव न लड़ने की घोषणा कर चुके है लेकिन उस समय किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया था लेकिन सपा बसपा गठबंधन की चर्चाओं के बीच जब प्रोफेसर ने यह बयान दिया तो राजनीतिक हल्के में चर्चा का विषय बन गया।
सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर सपा और भाजपाइयों के बीच जंग शुरू हो गयी है। बीजेपी के पूर्व जिला महामंत्री ब्रजेश यादव ने प्रोफेसर के बयान को पोस्ट करते हुए लिखा है कि आजमगढ़ को ठग कर खिसक लिए नेताजी!
आगे लिखा है कि ‘‘ 2014 में मुलायम सिंह आजमगढ़ से चुनाव लड़ रहे थे तब बड़े- बड़े दावे किए गए थे, कहां गया कि नेताजी के चुनाव जीतने के बाद आजमगढ़ में विकास की गंगा बहने लगेगी लेकिन चुनाव जीतने के बाद जब नेताजी 6 महीने तक आजमगढ़ नहीं आए तो आजमगढ़ की जनता को उन्हें लालटेन लेकर ढूंढना पड़ा। सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने, आजमगढ़ की जनता को धमकाने, बोगस वोटिंग कराने और 200 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद किसी तरह नेताजी आजमगढ़ की सीट जीत पाए थे लेकिन चुनाव जीतने के बाद नेताजी दोबारा लौटकर आजमगढ़ नहीं आए। आजमगढ़ का सांसद होने के बावजूद उन्होंने आजमगढ़ की जनता के हित में संसद में एक शब्द नहीं बोला, विकास का कोई कार्य नहीं कराया। उनके अंदर इतना नैतिक साहस नहीं बचा था कि वह आजमगढ़ की जनता के सामने झोली फैलाकर वोटों की भीख मांगते। इसलिए नेताजी का पलायन करना तो तय था। मैं मैनपुरी की सम्मानित जनता से अपील करता हूं कि माननीय मुलायम सिंह जी के राजनीतिक जीवन के संभवतः आखिरी चुनाव में उन्हें पराजित कर आजमगढ़ की जनता का हिसाब चुकता करें।
BY- Ranvijay Singh