मुख्य चिकित्साधिकारी डा. आईएन तिवारी ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला संक्रामक रोग है। इसे हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। मच्छर जब किसी फाइलेरिया के मरीज को काटकर किसी दूसरे व्यक्ति को काट ले तो दूसरा व्यक्ति भी फाइलेरिया की जद में आ सकता है। फाइलेरिया की बीमारी में लिम्फ नोड में सूजन की वजह से इससे हाथ, पैरों में सूजन आ जाती है।
उन्होंने बताया कि आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देता। हालांकि बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैरों में हाथी के पांव जैसी सूजन आ जाती है, इसलिए इस बीमारी को पिलपांव या हाथीपांव भी जाता है। महिलाओं के स्तन में सूजन आ जाती है।
फाइलेरिया से बचाव के लिए 22 से अभियान चलाया जा रहा है। यह सात दिसंबर तक चलेगा। आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलाएंगी। दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती व गंभीर मरीज के अलावा अन्य लोग दवा को खा सकते हैं। फाइलेरिया की दवा के सेवन से इसकी संभावना लगभग समाप्त हो जाती है।
मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि कार्यक्रम को सफल बनानेे के लिए ं 3771 टीमें और 630 सुपरवाइजर को जिम्मेदारी सौंपी गई है। अभियान की सफलता के लिए टीमें घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से संबंधित दवा का वितरण करेंगी। इसके लिए नोडल अधिकारी के रुप में डा. एके चौधरी को नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि शहर से लेकर ब्लाक स्तर तक टीमें गठित कर ली गई हैं।