लक्ष्मण सिंह 2016 में आजमगढ़ की सदर तहसील के सठियांव ब्लाक अंतर्गत सोनपुर प्राथमिक विद्यालय के प्रिंसिपल बनकर आए। लक्ष्मण सिंह को जब सोनपुर प्राथमिक विद्यालय की जिम्मेदारी दी गई थी स्कूल की हालत ठीक नहीं थी। स्कूल के नाम पर सिर्फ इमारत थी लेकिन पढ़ने वाले गिनती के। रजिस्टर के मुताबिक यूं तो स्कूल में उस वक्त 95 बच्चों का दाखिला था, लेकिन रोजाना स्कूल आने वालों की तादाद महज 20 से 25 ही थी। सरकारी स्कूल की बदहाली का फायदा आसपास के निजी स्कूलों ने उठाया और वह खूब फल-फूल गए। तब प्रिंसिपल लक्ष्मण ने संकल्प लिया कि वह सरकारी स्कूल को इन निजी स्कूलों से बेहतर बना डालेंगे।
उनके अपने संकल्प के रास्ते में रुपयों की कमी को आड़े आने नहीं दिया। अपनी कमाई भी सरकारी स्कूल पर लगा दी। सबसे पहले उन्होंने खर्चे पर स्कूल में 4 पार्ट टाइम शिक्षक रखे। शिक्षकों की कमी पूरी करने के बाद लक्ष्मण सिंह निजी स्कूल की तर्ज पर गांव-गांव जाकर अभिभावकों से मिले और उन लोगों को अपने प्राथमिक विद्यालय में बेहतर शिक्षा देने का वादा किया। उनकी मेहनत रंग लाई और महज 3 साल में बच्चों की संख्या पंचानवे से बढ़कर 295 हो चुकी है। जहां पहले महज 20 से 25 बच्चे पढ़ने आया करते थे। अब रोजाना 200 से ज्यादा बच्चे स्कूल में पढ़ने जाते हैं। प्राथमिक विद्यालय शिक्षा का स्तर सुधरने के बाद अभिभावकों ने अपने बच्चों का नाम निजी स्कूलों से कटा कर उसी सरकारी स्कूल में लिखवाना शुरू किया तो धीरे-धीरे 3 साल में आसपास के तीन-चार निजी स्कूल बंद हो गए।
लक्ष्मण सिंह कहते हैं क्षेत्र में बच्चों की शिक्षा में सबसे बड़ी बाधा उनके मां-बाप की शिक्षा है। वह अपने बच्चों को पढ़ाने के बजाय उन्हें मुबारकपुर कीर्तन कारखानों में काम करने के लिए भेज दे। उनका कहना है कि शिक्षा ही इंसान को आगे ले जाती है और इसीलिए मैंने सरकारी स्कूल की शिक्षा का स्तर सुधारने का बीड़ा उठाया ताकि लोग सर्व सुलभ शिक्षा से महरूम न रह जाएं।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आज हमारे समाज में लक्ष्मण सिंह जैसे लोगों की बेहद जरूरत है जो न सिर्फ अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं बल्कि उससे भी आगे बढ़कर समाज के बारे में सोचते हैं और उसकी भलाई के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देते हैं।
By Ran Vijay Singh