बता दें कि सगड़ी क्षेत्र के अमुवारी नरायनपुर गांव निवासी बसपा विधायक वंदना सिंह के ससुर रामप्यारे सिंह को अमर सिंह का बेहद करीबी माना जाता था। रामप्यारे सिंह ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अजमतगढ़ ब्लाक के प्रमुख के रूप में शुरू की। वर्ष 1992 में सपा के गठन के बाद वे मुलायम सिंह के साथ हो गए। रामप्यारे सिंह वर्ष 1996 में पहली बार सपा के टिकट पर सगड़ी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और विधायक चुने गए। पार्टी ने वर्ष 2002 में सगड़ी विधानसभा से दोबारा टिकट दिया लेकिन रामप्यारे सिंह को हार का सामना करना पड़ा।
चुंकि रामप्यारे सिंह अमर सिंह के चलते मुलायम सिंह के भी काफी करीबी हो गए थे। इसलिए हार के बाद भी उन्हें न केवल विधान परिषद भेजा गया बल्कि वर्ष 2003 में सपा मुखिया मुलायम सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में जगह देते हुए पर्यावरण मंत्री बनाया।
इस बीच वे कैंसर से पीड़ित हो गए। ऐसे में छोटे पुत्र सर्वेश सिंह उर्फ सीपू ने राजनीतिक क्षेत्र में सक्रियता दिखाई। इसी बीच दो साल बाद रामप्यारे सिंह का 31 मई 2005 को निधन हो गया। स्व.रामप्यारे सिंह की सगड़ी विधानसभा क्षेत्र में तैयार की गई राजनीतिक जमीन का फायदा सर्वेश को मिला। वर्ष 2007 में सर्वेश ने सपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल की।
वर्ष 2010 में अमर सिंह सपा से अलग हुए और लोकमंच का गठनल किया तो सीपू ने भी पिता के मित्र का साथ दिया और समाजवादी पार्टी छोड़ दी। अमर सिंह सीपू को पुत्र की तरह मानते थे जिसके कारण उन्होंने सीपू को लोकमंच में साथ रखने के बजाय वर्ष 2011 में बसपा में शामिल करा दिया।
इसके साथ ही सर्वेश के बड़े भाई संतोष सिंह उर्फ टीपू भी बसपा में आ गए। वर्ष 2012 के विधानसभा में बसपा मुखिया मायावती ने सर्वेश सिंह सीपू को सदर विधानसभा व उनके बड़े भाई संतोष सिंह टीपू को सगड़ी विधानसभा से चुनाव लड़ाया। उस समय सपा की लहर में दोनों भाई चुनाव हार गए और जिले की दस विधानसभा सीटों में से नौ पर सपा को जीत मिली।
हारने के बाद भी सर्वेश सिंह सीपू अपने पिता की तैयार की हुई जमीन को संवारने में लगे रहे। इसी बीच 19 जुलाई 2013 को पूर्व विधायक सर्वेश सिंह सीपू की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। पति की मौत के बाद वंदना सिंह राजनीति में सक्रिय हुई और वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा मुखिया मायावती ने वंदना सिंह को सगड़ी विधानसभा क्षेत्र से टिकट दे दिया। वंदना सिंह विधायक चुन ली गयी।
अब वंदना सिंह पर समाजवादी पार्टी के साथ नजदीकियां बढ़ाने और पार्टी से बगावत करने का आरोप लगा है। बसपा मुखिया ने उन्हें अखिलेश यादव से मुलाकात करने के आरोप में पार्टी से निलंबित कर दिया है। वैसे वंदना सिंह ने अपने उपर लगे आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है। वंदना का दावा है कि किसी से मिलना तो दूर वह अपने घर से बाहर ही नहीं निकली हैं। यह बात वह मीडिया से पहले भी कह चुकी हैं कि उनकी पार्टी के प्रति पूरी आस्था है और वे पार्टी के हर फैसले के साथ खड़ी हैं। वंदना का कहना है कि वह इस संबंध में पार्टी को एक पत्र भी लिख रही हैं।
BY Ran vijay singh