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सपा ने इस नेता पर लगाया दांव, तो बीजेपी के इस बाहुबली की राह होगी आसान

locationआजमगढ़Published: Oct 08, 2018 03:52:43 pm

Submitted by:

sarveshwari Mishra

रमाकांत को हराने में मुलायम सिंह के भी छूट गए थे पसीने

Tej Pratap yadav

Tej Pratap yadav

आजमगढ़. सभी दल लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए है। सपा बसपा से गठबंधन के जरिये बीजेपी को मात देने की तैयारी में जुटी है लेकिन उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है आजमगढ़ संसदीय सीट। अब इस सीट से मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं है। अब अखिलेश के लिए चुनौती है उनके कद का नेता ढूंढ़ना। कम से कम आजमगढ़ में ऐसा कोई नेता नहीं है। बीजेपी से बाहुबली रमाकांत यादव का चुनाव लड़ना लगभग तय है। मुलायम भी रमाकांत से बड़ी मुश्किल से जीते थे। जिले में जो दो बड़े दावेदार है उन्हें रमाकांत यादव पहले मात दे चुके है। ऐसे में चर्चा इस बात की है कि तेज प्रताप यादव को यहां से लड़ा जायेगा लेकिन तेज प्रताप के लिए भी रमाकांत को मात देना आसान नहीं होगा।

बता दें कि यह चुनाव सपा और बसपा के अस्तित्व से जुड़ा है कारण कि दोनों ही दल लगातार दो चुनाव बुरी तरह हार चुके है। बसपा का तो लोकसभा और राज्यसभा में कोई सदस्य ही नहीं है। यही वजह है कि दोनों दलों के बीच गठबंधन की चर्चा चल रही है। माना जा रहा है कि अगर दोनों दलों में गठबंधन होता है तो बीजेपी के लिए मुसीबत खड़ी करेंगे लेकिन शिवपाल यादव के अलग होने और नए दल का गठन कर यूपी की सभी अस्सी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद अखिलेश यादव की टेंशन बढ़ गयी है।

पूर्वांचल में सपा के पास मात्र एक संसदीय सीट आजमगढ़ है। मुलायम सिंह जैसे बड़े नेता के मैदान में आने के बाद यह सीट वर्ष 2014 में सपा जीतने में सफल रही थी। सपा बसपा पर इस चुनाव में अच्छे प्रदर्शन का दबाव तो है ही साथ ही सपा के लिए अपनी यह सीट बचाने की भी चुनौती है। आजमगढ़ सांसद मुलायम सिंह यादव इस सीट से चुनाव लड़ने से मना कर चुके है। उनका यह फैसला राजनीति की दृष्टि से काफी अच्छा माना जा रहा है। कारण कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में सपा की सरकार थी और पूरा मंत्रीमंडल मुलायम सिंह यादव को जीताने के लिए मैदान में उतरा था। इसके बाद भी मुलायम सिंह भाजपा के बाहुबली रमाकांत यादव को मात्र 73 हजार वोट से हराने में सफल हुए थे। अगर सत्ता न होती तो शायद परिणाम बदल जाता। खुद मुलायम सिंह ने कहा था कि अगर उनका कुनबा न लगता तो यहां के नेता उनको चुनाव हरा दिये थे।

अब 2019 के चुनाव में सपा से पूर्व मंत्री बलराम यादव, दुर्गा प्रसाद यादव, जिलाध्यक्ष हवलदार यादव टिकट की दावेदारी कर रहे है। बलराम यादव और दुर्गा प्रसाद यादव पहले भी लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं और रमाकांत यादव से हार चुके हैं। रहा सवाल हवलदार यादव का तो उनका कद इतना बड़ा नहीं है और ना बड़ा जनाधार है। ऐसे में सपा के सामने बड़ी चुनौती है। सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव आजमगढ़ सीट हाथ से न जाये इसके लिए मैनपुरी सांसद तेज प्रताप यादव को यहां से चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे है। तेज प्रताप के साथ मुलायम सिंह का नाम जुड़ा होने के कारण निश्चत तौर पर वे अन्य प्रत्याशियों से बेहतर साबित होंगे लेकिन रमाकांत से पार पाना उनके लिए आसान नहीं होगा। कारण कि आजमगढ़ ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के यादव भी उन्हें अपना नेता मानते है। यही वजह है कि रमाकांत किसी दल से लड़े लेकिन वह कुछ प्रतिशत यादव मत हासिल करने में सफल होते है। मुलायम सिंह के चुनाव लड़ने के बाद भी रमाकांत ने यादव मत हासिल कर और आजमगढ़ में नेताजी का विरोध कराकर इसे साबित किया था। ऐसे में राजनीति के जानकार यह मान रहे है कि तेज प्रताप की राह आसान नहीं होने वाली है।
By- Ranvijay Singh

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