बता दें कि अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट में पिछले दिनों जिले के छह लोग दोषी पाए गए थे जबकि दो को साक्ष्य के आभाव में बरी कर दिया गया था। शुक्रवार को इस मामले में कोर्ट द्वारा फैसला सुनाया गया। कोर्ट ने सरायमीर थाना क्षेत्र के संजयपुर गांव निवासी आतंकी मोहम्मद सैफ मो. आरिफ, बीनापारा गांव निवासी अबु बशर, इसरौली गांव निवासी आरिफ बदर, शहर कोतवाली क्षेत्र के बाज बहादुर निवासी मो. जीशान तथा बदरका निवासी सैफुर्रहमान को फांसी की सजा सुनाई गयी है। फैसला आने के बाद से ही आतंकियों के गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
वहीं इस मामले को लेकर संजरपुर कमेटी और रिहाई मंच हाईकोर्ट जाने का फैसला किये है। संजरपुर के लोगोें का कहना है कि सैफ एमए करने के बाद कंप्यूटर और इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स करने के लिए दिल्ली गया था। जबकि आरिफ सीपीएमटी की तैयारी के लिए लखनऊ गया था, लेकिन उसके बावजूद उसकी धारा कैसे बदल गई, समझ से परे है। जीशान और सैफुर्रहमान के पिता शिक्षक थे। सैफुर्रहमान के बारे में पास-पड़ोस के लोगों ने बताया कि पढ़ाई के लिए दिल्ली गया था। उसके बाद कैसे क्या हुआ, के सवाल पर सभी खामोश हो जाते हैं। रिहाई मंच के राजीव यादव का कहना है कि 28 लोग दोषमुक्त हुए हैं। हम लोग हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। उम्मीद है कि फांसी की सजा पाए सभी दोषमुक्त हो जाएंगे।
आतंकियों की प्रोफाइल
अहमदाबाद धमाके में फांसी की सजा पाए आतंकियों के प्रोफाइल पर गौर करें तो ज्यादातर शिक्षित हैं। सरायमीर के बीनापारा गांव निवासी अबु बशर ने मुफ्ती की पढ़ाई की है तो संजरपुर के मुहम्मद सैफ ने एमए और आरिफ बदर ने बीएससी किया है। सैफ के विदेश जाने की इच्छा हुई तो दिल्ली में कंप्यूटर और इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स करने चला गया था। सैफ का भाई शहनवाज भी आतंकी गतिविधियों में आरोपित है। सरायमीर के इसरौली का आरिफ बदर पंखा का मैकेनिक था। मुंबई कमाने गया तो उसकी वहीं ब्लास्ट प्रकरण में गिरफ्तारी हो गई। इसका परिवार अर्थिक तंगी से जूझ रहा है। आजमगढ़ शहर निवासी मोहम्मद जीशान शिक्षक का पुत्र है, लेकिन पढ़ाई लिखाई के बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है वहीं सैफुर्रहमान स्नातक किए हुए था।