scriptUP के दो दिग्गज नेता जो सत्ता की चाह में बार-बार बने बागी, 2019 में खतरे में है कैरियर | Three Big Leaders of UP Who Rebelled from Samajwadi Party for Power | Patrika News

UP के दो दिग्गज नेता जो सत्ता की चाह में बार-बार बने बागी, 2019 में खतरे में है कैरियर

locationआजमगढ़Published: Apr 01, 2019 09:48:27 pm

एक समय ये तीन नेता समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे, लेकिन सत्ता के सुख के लिये बदला दल, अब एक को छोड़ बाकी दो को कैरियर की है चिंता।

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आजमगढ़. यूं तो आजमगढ़ कांग्रेस के बाद समाजवादियों का गढ़ रहा है, लेकिन वर्तमान में इस जिले के निवासी तीन पूर्व सांसद भाजपा के ही खेमे में हैं। एक समय ये तीनों समाजवादी पार्टी से जुड़े थे, लेकिन दल बदलने वाले ये लोग सपा में नहीं रह सके। नतीजा दल बदलते गए और पार्टी कोई भी रही, लेकिन कुर्सी सुरक्षित होती रही। पार्टी बदलने के बाद भी इनके प्रभाव में कोई कमी नहीं दिखी। ये तीनों पूर्व सांसद हैं रमाकांत यादव , दरोगा प्रसाद सरोज और वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री दारा सिंह चौहान। दारा तो यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री बन अपनी कुर्सी को बचाने में सफल हैं लेकिन बाकि के दो नेता की कुर्सी तो छोडिए कैरियर भी दाव पर लग गया है।
रमांकात यादव ने 1984 में जगजीवन राम की पार्टी कांग्रेस (जे) से राजनीतिक जीवन शुरुआत की थी। जिले की फूलपुर-पवई विधानसभा क्षेत्र से विभिन्न दलों से पांच बार विधायक व आजमगढ़ (सदर) संसदीय सीट से चार बार सांसद रह चुके हैं। बसपा सांसद रहते हुए पुत्र अरुणकांत यादव को फूलपुर-पवई विधानसभा क्षेत्र से सपा का टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। नतीजा खुद प्रचार कर विधायक बनाने में सफल रहे। इसके लिए उन्हें बसपा की नाराजगी भी झेलनी पड़ी और तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने दलबदल के कारण उनकी सदस्यता समाप्त कर दी। लोकसभा का उपचुनाव हुआ तो सपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया।
सपा प्रत्याशी के रूप में बलराम यादव मैदान में आ गए। नाराज होकर रमाकांत यादव ने भाजपा का दामन थाम लिया और चुनाव तो लड़े, लेकिन हार गए। उपचुनाव में बसपा से अकबर अहमद डंपी जीत दर्ज कराने में सफल रहे। 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर रमाकांत यादव ने जीत हासिल की। नतीजा जिले में भाजपा को पहली बार सफलता मिली। लोकसभा 2014 के आम चुनाव में सपा संरक्षक व तत्कालीन पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव से कड़े मुकाबले में हार गए। हालांकि केंद्र में पूर्ण बहुमत की भाजपा की सरकार बनी तो उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई।
डीएवी पीजी कॉलेज से छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत करने वाले ब्लाक पल्हनी के गेलवारा निवासी दारा सिंह चौहान बसपा व सपा से एक-एक बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। 2009 के लोकसभा के चुनाव में वह घोसी सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव जीते और लोकसभा में बसपा संसदीय दल के नेता भी चुने गए थे। 2014 के आम चुनाव में वह घोसी सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव तो लड़े, लेकिन हार गए। बाद में भाजपा में शामिल हुए तो उन्हें छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दो विधानसभा सीटों को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी। इसमें वे कामयाब भी रहे।
यही कारण रहा कि भाजपा ने इन्हें पार्टी के पिछड़ा वर्ग संगठन का अध्यक्ष बना दिया। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से विधायक चुने गए तो उत्तर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री पद से नवाजा गया। सपा-बसपा गठबंधन के समय जिले की मेंहनगर सुरक्षित सीट से सपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचने वाले दरोगा प्रसाद सरोज सपा के टिकट पर लालगंज सुरक्षित लोकसभा सीट से दो बार सांसद रह चुके हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा उन्हें पुनः मेंहनगर सीट से प्रत्याशी बना रही थी, लेकिन वे लालगंज सुरक्षित सीट से उम्मीदवारी चाहते थे।
2014 के लोकसभा चुनाव में सपा ने लालगंज सुरक्षित सीट से पार्टी विधायक बेचई सरोज को उम्मीदवार बना दिया। हालांकि भाजपा की नीलम सोनकर के मुकाबले हार गए। इसी चुनाव के समय दरोगा प्रसाद सरोज सपा से नाराज होकर भाजपा में शामिल हो गए थे। इस सीट पर भाजपा को पहली बार मिली जीत का श्रेय भी इन्हें दिया गया।
By Ran Vijay Singh

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