संदिग्ध हाल में जुड़वा बच्चों की मौत, परिजनों का दावा आंगनबाड़ी से मिला दूध पीने से हुई घटना
अधिकारियों का दावा छह महीने से उपर के बच्चों को पिलाना था दूध, दुधमुंहे को नहीं
आंगनबाड़ी के अलावा घर पर पर मिला एक और दूध का पैकेट, एफडीए ने जांच के लिए भेजा

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ. मुबारकपुर थाना क्षेत्र के काशीपुर में शनिवार को दो जुड़वा बच्चों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत से परिवार हो गयी। परिजनों ने आरोप लगाया कि आंगनबाड़ी से मिले पैकेट का दूध पिलाने से दोनों बच्चों की मौत हुई है। घटना से प्रशासन में हड़कम्प मच गया। आनन-फानन आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और कब्रिस्तान से शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। अधिकारियों का दावा है कि दूध छह माह से अधिक के बच्चे को पिलाना था लेकिन गलती से दुधमुंहे बच्चे को पिला दिया गया। वहीं घर पर एक अन्य कंपनी के दूध का पैकेट भी बरामद हुआ। दोनों ही दूध को सेंपल एफडीए ने जांच के लिए भेज दिया है।
मुबारकपुर थाना क्षेत्र के काशीपुर गांव निवासी मधुबाला पत्नी दिवाकर राम को दो माह पूर्व जुड़वा बच्चा पैदा हुआ था। दोनो बच्चे स्वास्थ्य थे। परिजनों की मानें तो आंगनबाड़ी से मिले दूध के पैकेट को खोलकर दोनों बच्चों को शुक्रवार की रात को मधुबाला ने पिलाया और सभी सो गये। शनिवार की तड़के जब मधुबाल जगी तो दोनों बच्चों को मृत देखकर शोर मचाया।
इसके बाद परिवार के अन्य सदस्य और पास पड़ोस के लोग भी मौके पर पहुंच गए। दोनों बच्चों की मौत से परिवार में कोहराम मच गया। जानकारी होने पर निर्वतमान प्रधान ने आशा बहू, आंगनबाड़ी कार्यकत्री को मौके पर बुलाया। दोपहर होते-होते घटना से आक्रोशित परिजनों और ग्रामीणो ंने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। जानकारी होने पर स्थानीय पुलिस भी मौके पर पहुंच गयी और आलाधिकारियों को घटना की जानकारी दी। फिर क्या था स्वास्थ्य विभाग के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों की टीम भी मौके पर पहुंच गयी।
परिजनों के आरोप को देखते हुए मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी डीके राय ने दूध की जांच की। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों से वितरित होने वाला स्किड मिल्क पराग ब्रांड के दूध का पैकेट छह माह के ऊपर के बच्चों और गर्भवती तथा धात्री महिलाओं के उपयोग के लिए होता है। यह सुझाव पैकेट पर भी लिखा होता है। मौके पर नेस्ले लेक्टोजेन प्रथम का भी डिब्बा पाया गया। जानकारी मिली कि दोनों दूध को मिलाकर पिलाया गया है। दोनों ही दूध के पैकेट एक्सपायरी डेट के नहीं हैं जिसे छह माह के ऊपर के ही बच्चों को पिलाया जा सकता है। आंगनबाड़ी के दूध के पैकेट के साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पास उपलब्ध पैकेट व सठियांव स्थित उस दुकान से नेस्ले लेक्टोजेन प्रथम का नमूना लिया गया, जहां से खरीदा गया था।
इस मामले में जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार मौर्य का कहना है कि विभाग की तरफ से वितरित किए जाने वाले स्किड मिल्क केवल छह माह के ऊपर के बच्चों, गर्भवती व धात्री महिलाओं के उपयोग के लिए दिया जाता है। इसे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता चंपा देवी द्वारा बच्चों के मां के लिए दिया गया था। रहा सवाल आरोप का तो वह निराधार है और अनजाने में हुई गलती का मामला है।
मृत बच्चों के पिता दिवाकर ने कहा कि दूध का पैकेट देने के बाद यह नहीं बताया गया कि इसका उपयोग किसे करना है और किसे नहीं। उसके बच्चे 26 दिसंबर को बच्चे पैदा हुए थे और 18 फरवरी को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा दूध का पैकेट दिया गया। देने के बाद किसी को नहीं बताया गया कि किसको पिलाना है। मेरी पत्नी ने रात में पैकेट का दूध पिलाया। उसके बाद बच्चे सो गए और सुबह मृत पाए गए।
BY Ran vijay singh
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