सीएम योगी आदित्यनाथ ने बजट में तलाकशुदा सभी महिलाओं को 6 हजार सालीना देने की घोषणा कर एक बार फिर बड़ा दाव चल दिया है जिसका विपक्ष के पास बरवक्त कोई जवाब नहीं है। वैसे विपक्ष इसे लालपाप बताकर खारिज करने का प्रयास कर रहा है लेकिन बीजेपी इसे पूरी तरह भुनाने में जुट गयी है।
बता दें कि वर्ष 2017 के यूपी विधानसभा व 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी तीन तलाक के मुद्दे को भुनाने में सफर रही थी। उस समय काफी संख्या में मुस्लिम महिलाओं ने बीजेपी के पक्ष में मतदान किया था। बीजेपी इससे उत्साहित थी लेकिन बीजेपी ने पिछले दिनों सीएए को लेकर कानून बनाया तो विपक्ष को मौका मिल गया और उसने सीएए के साथ एनआरसी व एनआरपी को मुद्दा बनाकर मुस्लिम महिलाओं को ही बीजेपी के खिलाफ खड़ा कर दिया।
आजमगढ़ में पांच फरवरी को महिलाओं को आगे कर एनआरसी व सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के नाम पर की गयी हिंसा किसी से छिपी नहीं है। इसी तरह मुबारकपुर, मऊ सहित कई जिलों में में बीजेपी को मुस्लिम महिलाओं के विरोध का सामना करना पड़ा।
बीजेपी इस मुद्दे को लेकर साफतौर पर बैकफुट पर दिख रही थी। लेकिन सीएम योगी ने अपने चैथे बजट में सभी जाति धर्म की तलाकशुदा महिलाओं को छह हजार रूपये सालीन पेंशन की घोषणा कर आधी आबादी को अपने पक्ष में करने के लिए बड़ा दाव चल दिया है। बरवक्त विपक्ष के पास इसका कोई जवाब नहीं मिल रहा है।
इस मामले में संगीता राजभर, किसमत्ती देवी, सुनीता गुप्ता रूखसाना, आफरीन, आसमां आदि का कहना है कि यह सरकार का बेहतर फैसला है लेकिन धनराशि को और बढ़ाना चाहिए था। वैसे हमें इस बात का सुकून है कि कम से कम किसी सरकार ने तलाकशुदा महिलाओं के बारे में सोचा तो। सपा सरकार में राज्य मंत्री रहे राम दुलार राजभर का कहना है कि यह आधी आबादी के साथ छलावा है।
आखिर 500 रूपये महीने में तलाकशुदा महिला परिवार का भरण पोषण करेगी अथवा अपने बच्चों को पढाए लिखाएगी। एक तरह से यह पीड़ित महिलाओं के साथ मजाक है। वहीं बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष ब्रजेश यादव का कहना है कि योगी सरकार महिलाओं ही नहीं बल्कि सभी वर्ग के हित में काम कर रही है। आखिर सपा और बसपा की भी प्रदेश में सरकार रही है उन्होंने तलाकशुदा महिलाओं के लिए क्या किया था बताए तो सही। इनके पास कोई मुद्दा नहीं हैं इसलिए सही काम को भी गलत ठहराने में जुटी है।