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यूपी विधानसभा से पहले सत्ता पक्ष व विपक्ष की अग्निपरीक्षा, पूर्वांचल की इन सीटों पर हो सकता है चुनाव

locationआजमगढ़Published: Oct 28, 2021 09:27:51 am

Submitted by:

Ranvijay Singh

-समय से पहले कराये जा सकते हैं विधान परिषद चुनाव
-पूर्वांचल में प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र की हैं 10 सीटें
-वर्ष 2016 में हुुए चुनाव में बीजेपी को मिली थी करारी हार

प्रतीकात्मक फोटो

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के पहले विधान परिषद की 36 सीटों पर चुनाव होंगे। इसमें पूर्वांचल की 10 सीटें हैं। निकाय चुनाव राजनीतिक दलों के लिए अग्निपरीक्षा होगी। इस चुनाव में भले ही मतदाताओं की संख्या कम हो लेकिन इसे सत्ता के सेमीफाइनल के रुप में देखा जा रहा है। स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र के सदस्यों का कार्यकाल 07 मार्च 2022 को पूरा हो रहा है। माना जा रहा है कि कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही सात दिसंबर के बाद कभी भी अधिसूचना जारी हो सकती है। कारण कि भारत निर्वाचन आयोग ने इन सीटों का विवरण व मतदाता सूची की जानकारी मांगी है। प्रशासन भी चुनाव की तैयारियों में जुटा हुआ है। चुनाव में बीजेपी और सपा के बीच सीधा मुकाबला दिख सकता है। कारण कि सूत्रों की मानें तो बसपा इस चुनाव से किनारा कर सकती है।

बता दें कि विधान परिषद में कुल 100 सीटें हैं। जिसमें स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्रों की 36 सीटें शामिल है। इसमें सर्वाधिक 10 सीटें पूर्वांचल में है। पूर्वांचल की सीटों की बात करें तो बस्ती-सिद्धार्थनगर, गोरखपुर-महराजगंज, देवरिया, आजमगढ़-मऊ, बलिया, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, मीरजापुर-सोनभद्र, इलाहाबाद शामिल हैं।

वर्ष 2016 में स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र की इन 36 सीटों के लिए अधिसूचना आठ मार्च को जारी हुई थी। तीन मार्च को मतदान हुआ था। इसमें समाजवादी पार्टी ने 31 सीटें जीतकर विधान परिषद में बहुमत हासिल किया था। दो सीटों पर पर बसपा चुनाव जीती थी। रायबरेली से कांग्रेस के दिनेश प्रताप सिंह जीते थे। बनारस से बृजेश कुमार सिंह व गाजीपुर से विशाल सिंह चंचल चुने गए थे। दिनेश प्रताप सिंह बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे।

यह चुनाव राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कारण कि बीजेपी के पास आज भी विधान परिषद में बहुमत नहीं है। भाजपा चुनाव में अधिक से अधिक सीट जीतकर बहुमत हासिल करने की कोशिश करेगी। साथ ही 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले यह संदेश देना चाहेगी कि पंचायत में आज वह सबसेे मजबूत है। कारण कि पिछले चुनाव में बीजेपी खाता नहीं खोल पाई थी।

वहीं समाजवादी पार्टी अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराना चाहेगी। कारण कि कुछ ही महीने में विधानसभा चुनाव है और इस चुनाव में अगर पार्टी पिछले प्रदर्शन को दोहराने में नाकाम होती है तो इसका असर कार्यकर्ताओं के मनोबल पर पड़ेगा। साथ ही आम आदमी में भी गलत संदेश जाएगा। सुभासपा से गठबंधन के बाद सपा की ताकत पूर्वांचल में बढ़ी है। उसे भरोसा है सुभासपा से जीते पंचायत प्रतिनिधि भी उसके साथ पूरी ताकत से खड़ेे होंगे।

वहीं माना जा रहा है कि बसपा इस चुनाव से दूरी बना सकती है। कारण कि हाल में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बसपा अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रही थी। वहीं सामने विधानसभा चुनाव की चुनौती भी है। ऐसे में माना जा रहा है कि सीधे लड़ाई सपा और भाजपा के बीच देखने को मिल सकती है। विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले इन चुनावों को जीतकर सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों ही अपनी मजबूत दावेदारी का संदेश जनता में देने की कोशिश करेंगे।

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