बता दें कि रेलवे स्टेशन मूसेपुर मार्ग रेलवे का है लेकिन स्टेशन चहारदिवारी के बाहर है। इस सड़क का उपयोग यात्रियों के अलावा मूसेपुर, पल्हनी सहित कई गांव के लोग करते है लेकिन यह सड़क चार दशक से टूटी थी। हल्की सी बरसात में भी इसपर जलजमाव हो जाता था और महीनों पानी रहता था। सड़क में तीन से चार चार फिट के गड्ढे थे। दुर्घटना तो यहां के लिए आम बात थी।
इस सड़क के लिए कई कार स्थानीय लोगों ने आंदोलन किया। रेलवे परामर्श दात्री समिति से लेकर आम आदमी ने डीआरएम और जीएम के सामने मांग रखी कि सड़क की मरम्मत करायी जाय लेकिन रेलवे ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया जाता था कि उक्त सड़क उनके उपयोग की नहीं है इसलिए वे मरम्मत नहीं कराएंगे। इसके बाद लोगों ने प्रशासन और नगर पालिका से गुहार लगाई। नगरपालिका ने मरम्मत की अनुमति मांगी तो रेलवे ने नहीं दिया। तीन वर्ष पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने भी अपने स्तर पर प्रयास किया कि पीडब्ल्युडी से इसकी मरम्मत करायी जाय लेकिन तब भी रेलवे ने अड़गा लगा दिया। इसके बाद लोगों ने उम्मीद छोड़ दी थी। बस जिसके दरवाजे पर पानी लगता वह उसमें ईंट के टुकड़े आदि फेकवा देता था।
लोकसभा चुनाव में बेलइसा स्थित एफसीआई गोदाम को मतगणना स्थल बनाया गया तो चुनाव में आये पर्यवेक्षक की नजर इस सड़क पर पड़ गयी। कारण कि रूट डायवर्जन के तहत इसका उपयोग होना था। प्रशासन से सारी स्थित की जानकारी लेने के बाद उन्होंने चुनाव आयोग को सूचित कर दिया। आयोग ने सख्ती दिखायी तो रेलवे ने इसके मरम्मत की परमिशन दे दी। रेलवे मंडल वाराणसी ने आइओडब्ल्यू को पत्र लिख जल्द से जल्द सड़क निर्माण पूरा करने के निर्देश दिए। निर्देश मिलते ही सड़क का निर्माण शुरू हो गया और आइओडब्ल्यू राकेश कुमार सिंह की देखरेख में एक हफ्ते में निर्माण पूरा भी हो गया लेकिन मानक की खुलेआम अनदेखी की गयी।
हालत यह हुई कि सड़क निर्माण पूरा होने के अगले दिन से ही गिट्टी उखड़ने लगी। आज हालत यह है कि सड़क जगह जगह बुरी तरह टूट गयी है। बरसात के बाद जगह-जगह जलजमाव हो गया है। लोगों के लिए इस सड़क से गुजरना मुश्किल हो गया है। रेलवे परामर्श दात्री समिति के सदस्य सुरेश शार्मा ने मानक की अनदेखी का मामला उठाया तो अब इस सड़क की जांच विजलेंश से करायी जा रही है। लोगों को उम्मीद है कि इस बड़े भ्रष्टाचार से पर्दा उठेगा और फिर से सड़क का निर्माण कराया जाएगा।
BY-Ranvijay Singh