घरने पर बैठे ग्रामीणों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सबका साथ सबका विकास की बात कही जाती है लेकिन हमारा पिछड़ा क्षेत्र आज तक विकास अछूता है। हमारे पास आज भी मकान नहीं हैं। भ्रष्टाचार में लिप्त अफसर व कर्मचारी लगातार हमें आश्वासन के जरिये बरगला रहे है। हम पीएम मोदी के आगमन के दौरान उन्हें पत्रक सौंपकर अपनी मांगों से अवगत करायेंगे।
घरने को संबोधित करते हुए सुग्रीव ने कहा कि 2007 जुलाई-अगस्त माह में घाघरा नदी के कटान से हम लोगों का घर व जमीन नदी में कट गया था। उस समय के तत्कालीन जिलाधिकारी विकास गोठवाल द्वारा विकास नगर बनाकर कुछ लोगों को बसाया गया था। उसके बाद जिलाधिकारी के आदेश पर उप जिलाधिकारी द्वारा 53 कड़ी सबकों आवासीय जमीन भी आवंटित की गई और साथ में आवास भी मिला लेकिन उस समय लेखपाल व ग्राम प्रधान की साजिश के चलते बहुतेरे लोग छूट गये। शेष लोगों के लिए नौबरार देवाराजदीद किता प्रथम के समीप जमीन आवंटन व आवास भी देने का आदेश पारित हुआ लेकिन आज तक हम लोगों को आवास व आवासीय पट्टा नही दिया गया। जिसके कारण हम शासन की योजना से आज तक उपेक्षित व वंचित है।
लालचंद निषाद व नवमी ने शासन से मांग किया कि 40 आवासीय योजना से वंचित विस्थापितों को सरकार द्वारा बसाया जाये ताकि किसी तरह इन परिवारों को छत मुहैया हो सके। इसके अलावा गांव के 65 लोगों को राशन कार्ड भी नहीं दिया गया है जिसके कारण सरकार की योजना से मूल गरीब आज तक वंचित है। आरोप लगाया कि जब कभी भी अपनी मांगों को लेकर अधिकारियों के यहां गुहार लगाते है तो लेखपाल द्वारा धनउगाही की बात की जाती है। जब तक हमारी मांग पूरी नहीं हुई होगी तब तक हम अनिश्चित भूख हड़ताल पर रहेंगे। अगर प्रशासन हमारी मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार नहीं करता है तो हम प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में पहुंचकर उन्हें अपनी समस्याओं से रूबरू करायेंगे। भूख हड़ताल में नौमी, रामलवट, रामधीन, सीताराम, लालचंद, जोखई, नरायन, खेदनी, मंती, संती, मंगरी, रामवचन आदि शामिल रहे।
BY- रणविजय सिंह