आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र कोटवा के के मौसम वैज्ञानिक डा. तेज प्रताप सिंह ने बताया कि ग्रामीण कृषि मौसम सेवा योजना के अंतर्गत प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अगले 5 दिनों में बादल छाए रहेंगे तथा 18 से 20 जुलाई के मध्य तेज बारिश होने की संभावना है। इस दौरान अधिकतम तापमान 31-35℃ व न्यूनतम तापमान 24-27℃ रहेगा। आर्द्रता 46-97 फीसद के मध्य रहेगी। हवा सामान्य से मध्यम गति के साथ पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर चलने की संभावना है।
किसानों को सुझाव
सामान्य-
अत्यधिक वर्षा होने की स्थिति में किसान सब्जियों की खड़ी फसलों के खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
धान-
धान में खैरा रोग के लक्षण दिखाई देने पर प्रति हेक्टेयर 5 किग्रा जिंक सल्फेट व 2.5 किग्रा चूना प्रति 800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
पशुपालन-
पशुओं में अठई रोग की रोकथाम के लिए ब्यूटाक्स दवा की 1 से 2 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से मिलाएं व उसी पानी से पशुओं को नहलाएं।
धान-
धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण हेतु बुवाई के 20 दिन बाद प्रति एकड़ की दर से बिस्पाइरिक बाई सोडियम (नॉमिनी गोल्ड 10ः) की 80 से 100 मिली मात्रा को 150 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
आंवला-
आंवले के बागों में माहु कीट की रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल दवा की 0.5 मिली मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
वर्षाकालीन सब्जियां-
यह समय मिर्च बैंगन व फूलगोभी की पौधशाला बनाने के (सितंबर में तैयार होने वाली किस्मों) लिए उपयुक्त है। किसान पौधशाला में कीट अवरोधी नायलॉन की जाली का प्रयोग करें ताकि रोग फैलाने वाले कीटों से फसलों को बचाया जा सके। पौधशाला को तेज धूप से बचाने के लिए छायेदार नेट द्वारा 6.5 फीट की ऊंचाई पर ढक सकते हैं। बीजों को बुवाई से पूर्व केप्टान दवा की 2 ग्राम मात्रा लेकर प्रति किग्रा बीज को उपचारित करें।
मक्का-
समय से बुवाई की गई मक्का की फसल में बुवाई के 15 दिन बाद प्रथम निराई गुड़ाई करें।
बागवानी-
पौधरोपण के लिए जून माह में खोदे गए गड्ढे में समान मात्रा में गोबर की सड़ी खाद व मिट्टी से भराई के उपरांत मिट्टी के माउंट के बीचो-बीच रोपाई के लिए लाए गए पौधों के आकार का गड्ढा खोदकर पौधे लगाएं।
पशुपालन-
पशुओं में अठई रोग की रोकथाम के लिए ब्यूटाक्स दवा की 1 से 2 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से मिलाएं व उसी पानी से पशुओं को नहलाएं।
BY Ran vijay singh