बता दें कि जिले में गेहूं खरीद के लिए विभिन्न एजेंसियों के कुल 77 क्रय केंद्र स्थापित थे। जिसमें खाद्य विभाग के 30, पीसीएफ के 45 और भारतीय खाद्य निगम के दो केंद्र शामिल हैं। पहले सरकार ने गेहूं खरीद के लिए 15 जून तक का समय निर्धारित किया था। उक्त अवधि में क्रय केंद्रों पर 64388 टन गेंहू की खरीद की गयी थी। इसके बाद भी क्रय केंद्रों पर किसानों की भीड़ देख सरकार ने गेहूं खरीद की अवधि बढ़ाकर 22 जून कर दी। निर्धारित समय तक 66658 टन गेहूं की खरीद की गयी। जो पिछले वर्ष के मुकाबले दो गुना से अधिक है। गत वर्ष जिले में मात्र टन गेहूं की खरीद हुई थी।
सरकार द्वारा अवधि बढ़ाने के बाद भी किसानों का गेहूं क्रय एजेंसियां खरीद नहीं पाई।
आज भी हजारों किसान गेहूं बेचने के लिए परेशान है। कुछ किसानों की ट्राली तो महीने भर से क्रय केंद्र पर खड़ी है। क्रय केंद्र पर ताला लटक चुका है लेकिन किसान डटे हुए है। किसानों का दावा है कि विभाग खरीद के जो आंकड़े दिखा रहा है उसमें बड़ा खेल हुआ है। बिचैलियों से गेहूं खरीदकर किसानों की खरीद बतायी जा रही है। किसान सुभाष यादव, राजेंद्र सिंह आदि का कहना है कि गेहूं खरीद में भारी अनियमिता हुई है। उन्हें दो महीने तक दौड़ाया गया लेकिन आज तक उनकी खरीद नहीं की गयी।
वहीं हरैया ब्लाक में तो हद ही हो गयी। विपणन केंद्र और पूरा बाल नारायण मंझरिया में ट्राली पर लदे गेहूं में बारिश की वजह से पौधे उग गए। क्रय केंद्र पर तमाम किसान खरीद की मियाद बीतने के बाद गेहूं से लदी ट्राली लेकर डेरा डाले हुए हैं। मऊ कुतुबपुर में भी 20 किसान अब भी डेरा डाले हुए है। दोनों जगह 25 से 30 दिन पहले ट्रालियां क्रय केंद्र पर हैं। नतीजा है कि ट्राली में ही गेहूं सड़ रहा है।
इतना ही नहीं गेहूं में नमी आने के कारण अंकुरित भी हो गया है। अंकुरित हो रहे गेहूं को लेकर किसान परेशान हैं। जोगेंद्र सिंह गंगापुर उमेश यादव सेठाकोली, चंद्रकेश राय रोहुवार, योगेश राय हरैया, राजन दुबे चांदपट्टी, संतोष बरडीहा, राम दरस, शिवम राय ब्रह्मौली आदि आदि का कहना है कि अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है कि उनका गेहूं सड़ रहा है। अगर समय से तौल होती तो यह नौबत नहीं आती। वहीं अधिकारी क्रय का समय समाप्त होने का रोना रो रहे है। डिप्टी आरएमओ का कहना है कि शत प्रतिशत किसानों का गेहूं खरीदने का प्रयास किया गया। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार दो गुने से अधिक खरीदारी की गयी है।
BY Ran vijay singh