बता दें कि दारा सिंह चौहान मूलरूप से आजमगढ़ जिले के गेलवारा गांव का रहने वाले हैं। इनकी गिनती बसपा के संस्थापक सदस्यों में होती है। कहा जाता है कि दारा सिंह राजनीति के ऐसे मझे खिलाड़ी है जो हवा का रूख चुनाव से पहले ही भाप जाते हैं। शायद यह सही भी है। दारा सिंह अपने तीन दशक के राजनीतिक कैरियर में हमेंशा सत्ता के साथ रहे है। रमाकांत यादव के बाद दारा सिंह चौहान ही ऐसे नेता है जो जिस दल में गए वहां सांसद या विधायक बने। यही वजह है कि अब उनके समर्थक और मतदाता उन्हें मौसम वैज्ञानिक कहने लगे हैं।
दारा सिंह चौहान ने राजनीति की शुरूआत में ही अपना कर्मक्षेत्र मऊ के मधुबन क्षेत्र को बनाया। बसपा ने वर्ष 1996 में पहली बार बसपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा था। चार साल का कार्यकाल पूरा होते ही उन्होंने हवा का रूख भाप लिया और सपा में शामिल हो गए। फिर क्या था। 2000 में सपा ने भी इन्हें राज्यसभा भेज दिया। वर्ष 2006 में दारा सिंह का राज्यसभा कार्यकाल पूरा हुआ।
इसी बीच फिर इन्होंने चुनाव हवा को परखा और वर्ष 2007 के चुनाव से पहले फिर बसपा में शामिल हो गए। यूपी में बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी और वर्ष 2009 में बसपा ने उन्हें फिर राज्यसभा भेज दिया। वर्ष 2012 में मायावती यूपी की सत्ता से बाहर हुई और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो उस समय चर्चा थी कि दारा सिंह सपा में जा सकते है लेकिन दारा सिंह के मन में कुछ और था। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में देश में भाजपा की सरकार बनी तो इन्होंने बीजेपी से नदजीकी बढ़ाई।
इसके बाद दारा सिंह चौहान सभी को चौकाते हुए 2 फरवरी 2015 को बीजेपी में शामिल हो गए। दारा सिंह चौहान को बीजेपी ने पिछड़ी जाति प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया। इसके बाद वर्ष 2017 के चुनाव में मधुबन सीट से जीत हासिल कर दारा सिंह योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गए। पिछले दो साल से दारा सिंह बीजेपी में हाशिए पर दिख रहे थे। यहां तक कि नवंबर 2021 में गृहमंत्री राज्य विश्वविद्यालय का लोकापर्ण करने के लिए आजमगढ़ आये तो कार्यक्रम में दारा सिंह का आमंत्रित नहीं किया गया। माना जा रहा था कि उपेक्षा से नाराज दारा सिंह सपा में जा सकते है। उनकी सपा के लोगों से नजदीकियां भी बढ़ गयी थी।
वहीं उनके समर्थकों का कहना था कि अभी वे हवा का रुख भाप रहे हैं कि चुनावी मौसम कैसा होगा। इसी बीच छह दिसंबर को दारा सिंह चौहान बीजेपी की सगड़ी सभा में सीएम योगी के सबसे नजदीक नजर आये। उन्होंने न केवल मंच पर सीएम से लंबी गुफ्तगू की बल्कि सभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर हमला बोला। अब उनके समर्थक फिर चर्चा में मशगूल हैं कि शायद मंत्री ने रूख भाप लिया है और फिर कमल खिलाते हुए ही दिख सकते हैं।