घटना रानी की सराय थाना क्षेत्र के कोटवां (चक बंगाली दलित बस्ती) है। उक्त गांव निवासी रमताजी 85 पत्नी बलेश्वर की इच्छा थी कि, उनके जीते जी ही परिवार के लोग उनका भंडार (त्रयोदशाह) कार्यक्रम संपन्न करें। परिवार के लोग आज भंडारे का आयोजन किये थे। सारे नात रिश्तेदार भंडारे में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। दोपहर में भोजन बन रहा था कि, करीब एक बजे एकाएक गैस सिलेंडर के रेगुरेटर में रिसाव हुआ और आग लग गई। बगल में ही भूसा था आग उसमें भी पकड़ ली।
कहते हैं कि, मौत अपनी तरफ खींच कर ले जाती है। कुछ ऐसा ही यहां मौजूद लोगों के साथ हुआ। बाहर भागने के बजाय उन्होंने सोचा अगर बगल में मौजूद कमरे में खुद को बंद कर लें तो शायद आग से बच जाएगें। रमताजी देवी जिसके लिए भंडारे का आयोजन था वे और उनकी बहू कविता देवी (40) पत्नी महेंद्र, रिश्तेदार अनीता (35) पत्नी राजेंद्र व उसकी 14 वर्षीय पुत्री आराध्या निवासी ग्राम जमीन नरहन कोतवाली क्षेत्र जीयनपुर, तारा देवी (50) पत्नी राजाराम निवासी ग्राम बद्दोपुर थाना शहर कोतवाली एवं उसके साथ आई नतिनी अंजलि (4) पुत्री हरिओम निवासी ग्राम अखेपुर कोतवाली क्षेत्र जीयनपुर कमरें में घुस गयी और दरवाजे को बंद कर लिया।
आग तो कमरे तक नहीं पहुंची लेकिन, रोशनदान से धुंआ कमरे में भर गया जिसके कारण लोगों का दम घुटने लगा। चारों तरफ चित्कार मच गया। गांव के लोग जब तक आग पर काबू पतो और फायर बिग्रेड मौके पर पहुंचती कई लोगों की सांसे थम चुकी थी। वहीं सूचना के बाद न तो मौके पर पुलिस पहुंची थी और ना ही एम्बुलेंस। आग पर काबू पाने के बाद किसी तरह लोगों को निकाला गया और आटो रिक्शा पर जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान छह लोगों की मौत हो गई। मृतका कविता की पुत्री प्रियंका (16) अब भी जिंदगी और मौत से जूझ रही है। पुलिस और फायर बिग्रेड की लापरवाही से ग्रामीणों में गुस्सा साफ दिख रहा था। वहीं मृतक के घर कोहराम मचा हुआ है। पोस्टमार्टम हाउस पर भी लोगों की भारी भीड़ दिखी।
input रणविजय सिंह