बता दें कि मुलायम सिंह आजमगढ़ को धड़कन तो अखिलेश यादव अपना घ्ज्ञर कहते रहे है। वहीं सत्ता में आने के बाद सीएम योगी ने इसे अपना सर्वोच्च प्राथमिकता वाला जिला बता रहे है। इसे जिले में सपा, बसपा और भाजपा के बीच वर्चश्व की जंग छिड़ी है। अभी यहां सपा-बसपा का वर्चश्व कायम है। इस जिले की दो संसदीय सीटों में एक सपा के पास है और दूसरी बसपा के पास। दस विधानसभा सीटों की बात करें तो पांच सपा, चार बसपा और एक बीजेपी के पास है। बीजेपी वर्ष 1996 के बाद पहली बार यहां कोई विधानसभा सीट जीती है। बीजेपी लगातार दावा कर रही है आने वाला चुनाव वह विकास के दम पर जीतेगी। वहीं सपा का दावा है कि बीजेपी ने यहां विकास की एक भी ईट नहीं रखा है। दोनों ही दलों की यह जंग दिलचस्प होती जा रही है।
योजनाओं का श्रेय लेने की होड़
सपा और भाजपा में विकास योजनाओं का श्रेय लेने की होड़ मची है। सत्ता में रहते हुए अखिलेश यादव ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की घोषणा की थी। उसी समय भूमि अधिग्रहण की कवायद शुरू हुई थी। वर्ष 2017 में जब बीजेपी सत्ता में आयी तो 14 जुलाई 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया। सपा का आरोप लगा रही है जो योजना पहले से चालू थी उसका दोबारा शिलान्यास कर बीजेपी प्रोपगंडा कर रही है और अखिलेश की योजना को अपना बनाते की कोशिश कर रही है।
सीएम बता रहे पूर्वांचल की लाइफ लाइन
सपा के दावे के विपरीत सीएम योगी आदित्यनाथ इसे अपनी महत्वाकांक्षी योजना और पूर्वांचल की लाइफ लाइन बता रहे हैं। 340.824 किमी लंबे इस परियोजना को सरकार अगस्त 2020 तक पूरा कर यातायात शुरू करने का दावा कर रही है। आजमगढ़ जनपद में यह एक्सप्रेस-वे 99 किमी है तथा चार तहसीलों के 112 गांवों से होकर गुजर रहा है। इसके लिए किसानों से कुल 871.67 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। इसके अलावा 115.13 हेक्टेयर भूमि सार्वजनिक उपभोग की जा रही है। 112 गांवों से होकर गुजर रहे इस एक्सप्रेस-वे को लेकर आम आदमी भी उत्साहित है। 10 फरवरी 2020 को सीएम योगी ने सीएम योगी ने इसके स्थलीय निरीक्षण के बाद निर्धारित समय में पूरा करने का निर्देश दिया लेकिन इस योजना पर आज भी विवाद कायम है।
विश्वविद्यालय देकर छीन लिया था सपा से मुद्दा
अपनी सरकार के अंतिम बजट में अखिलेश यादव ने विश्वविद्यालय बलिया को देकर आजमगढ़ के साथ वादाखिलाफी कर बीजेपी को बड़ा मौके दे दिया था। बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाया और वर्ष 2017 में सत्ता में आते ही आजमगढ़ में विश्वविद्यालय की घोषणा कर सपा को बैकफुट पर डाल दिया था। सरकार ने हाल में बजट में इसके लिए धन भी आवंटित कर दिया लेकिन अभी तक भूमि अधिग्रहण का कार्य शुरू नहीं हुआ है। विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए सठियांव ब्लाक के मोहब्बतपुर में लगभग 37.50 एकड़ ग्रामसभा की भूमि चिह्नित की गई है। 48 एकड़ का मानक पूरा करने लिए शेष 11.50 एकड़ किसानों से ली गयी है। जिस गति से काम चल रहा है उससे साफ है कि विश्वविद्यालय का निर्माण शायद ही पूरा हो सके। तीन साल में बीजेपी सरकार की यह एक मात्र योजना है लेकिन यह कब मूर्त रूप लेगी कह पाना संभव नहीं है।
क्या है हालत
पिछले तीन साल में सरकार की एक भी बड़ी परियोजना मूर्तरूप लेती नहीं दिखी है। विपक्ष इसे लगातार मुद्दा बना रहा है। अभी सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है। खुद पार्टी के लोग योजनाओं को चुनाव से पहले पूरा करना बड़ी चुनौती मान रहे हैं।