बता दें कि जिला पंचायत में यहां हमेशा से सपा और बसपा का बर्चश्व रहा है। अब तक सपा चार बार जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी हासिल कर चुकी है तो बसपा का दो बार अध्यक्ष चुना गया है। विधानसभा में भी सपा की पांच और बसपा के चार विधायक है। भाजपा को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली है लेकिन खास बात है कि पिछले विधानसभा में पहली बार बीजेपी चार सीटों पर रनर बनकर उभरी थी। बीजेपी का जिले में उभार सपा बसपा के लिए बड़ी चुनौती है।
अब जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सपा और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला हो रहा है। बसपा संख्याबल कम होने के कारण चुनाव नहीं लड़ रही है। पार्टी वार सदस्यों की संख्या पर गौर करें तो 84 सीटों में 25 पर जीत हासिल कर सपा सबसे बड़ी पार्टी है। बसपा 14 सीट जीतकर दूसरे और भाजपा 11 सीट के साथ तीसरे स्थान पर है। इसके अलावा एआईएमआईएम को 01, कांग्रेस को 01, उलेमा कौंसिल को 01, अपना दल को 01, आम आदमी पार्टी को 01, सुभासपा को 01 सीट मिली है। 27 सीटों पर निर्दल के खाते में गयी है।
पिछले दिनों भाजपा ने सम्मान समारोह के जरिये शक्ति का प्रदर्शन कर बताया कि उसके पास 24 सदस्य हैं। ऐसे में सपा और भाजपा के बीच लड़ाई बराबर की मानी जा रही है। बसपा के सदस्य किसके साथ जाएंगे इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है। बल्कि यूं भी कहा जा सकता है कि किसी की भी हार जीत के बीच बसपाई सदस्य खड़े है। सपा की तरफ से बाहुबली दुर्गा प्रसाद यादव के पुत्र विजय यादव मैदान में है तो भाजपा ने संजय निषाद को मैदान में उतारा है।
कुछ ही घंटों में यह फैसला हो जाएगा कि जीत का सेहरा किसके सिर बधेगा। कारण कि 11 बजे मतदान शुरू होगा और तीन बजे से मतगणना होगी। दोनों ही दलों की प्रतीष्ठा दाव पर लगी है। सपा को अपने 10 साल के वर्चश्व को कायम रखना है तो सीट जीतनी होगी। वहीं अगर भाजपा को सपा और बसपा का गढ़ बन चुके आजमगढ़ में सेंध लगानी है तो उसे पहली जीत हासिल करनी होगी।
BY RAN VIJAY SINGH