देर किए बगैर चिकित्सक से परामर्श करें। यदि समय रहते इसकी पहचान कर इलाज करा लिया जाए तो दवाओं से ठीक हो सकती है। लेकिन अधिक समय तक अनदेखी करने या सही इलाज न मिल पाने की स्थिति में हड्डी में विकृति भी आ सकती है।
बच्चों में सर्दी के साथ तेज बुखार, किसी विशेष अंग में तेज दर्द, सूजन व अंग लाल हो जाए तो यह ओस्टिओमाइलाइटिस (हड्डी का संक्रमण) की समस्या हो सकती है। देर किए बगैर चिकित्सक से परामर्श करें। यदि समय रहते इसकी पहचान कर इलाज करा लिया जाए तो दवाओं से ठीक हो सकती है। लेकिन अधिक समय तक अनदेखी करने या सही इलाज न मिल पाने की स्थिति में हड्डी में विकृति भी आ सकती है।
हालांकि विकृति के बाद भी कई तकनीकों से इलाज संभव है। इनमें से एक एडवांस्ड तकनीक है ऑर्थो एसयूवी (एक कम्प्यूटर बेस्ड प्रोग्राम)। इसका प्रयोग हाथ पैरों की विकृति ठीक करने के लिए किया जाता है। हाल ही एक 13 वर्षीय किशोर के पैर की विकृति ठीक करने के लिए एसएमएस में इसका पहली बार प्रयोग किया गया। इसमें रोगी को एसयूवी फ्रेम पहनाया जाता है। इस फ्रेम में छह डिस्टे्रक्टर (रॉड) होते हैं जो हड्डी का आकार बढ़ाने-घटाने में सहायक होते हैं। फ्रेम पहनाकर मरीज की मौजूदा स्थिति की पूरी जांच की जाती है व सारी जानकारी जैसे अंग कितना बड़ा-छोटा है या कितना टेढ़ा है आदि सॉफ्टवेयर में फीड कर दी जाती है।
सामान्यत: करीब एक इंच हड्डी को बढ़ाने, सीधा व मजबूत करने में तीन माह का समय लगता है। मरीज को फ्रेम कब तक पहनना है, जरूरत के हिसाब से विशेषज्ञ इस का निर्धारण करते हैं। इस बीच मरीज को डिस्ट्रेक्टर का आकार बढ़ाना-घटाना होता है। किस डिस्टे्रक्टर को कब और कितना बड़ा-छोटा करना है यह जानकारी सॉफ्टवेयर में फीड डाटा से मिलती है। चिकित्सक इसका विस्तृत ब्योरा प्रिंटआउट के रूप में मरीज को देकर घर भेज देते हैं। इस बीच कोई परेशानी न हो इसके लिए उसे कुछ समय के अंतराल पर फॉलोअप के लिए बुलाते हैं। एक बार पूरी तरह ठीक होने के बाद वह सामान्य जीवन जी सकता है।