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कागजों पर कर दिया पुनर्वास, अब भी मूल गांवों में बसे हैं लोग

locationबड़वानीPublished: Sep 11, 2015 11:40:00 pm

साहब पुनर्वास स्थलों के जो पट्टे दिए हैं वहां प्लॉट ही नहीं है। हमारा गांव हरा
भरा है, उसे सरकार डूबाने को तैयार है। डूब आती है तो अधिकारी रातों-रात घर

Badwani news

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बड़वानी। साहब पुनर्वास स्थलों के जो पट्टे दिए हैं वहां प्लॉट ही नहीं है। हमारा गांव हरा भरा है, उसे सरकार डूबाने को तैयार है। डूब आती है तो अधिकारी रातों-रात घर खाली करने की बात करते हैं। हम इतने पढ़े-लिखे भी नहीं है आखिर अब कहां जाएं। कुछ ऎसी बातें सरदार सरोवर बांध प्रभावितों ने सेवा निवृत्त न्यायाधीशों के समक्ष शुक्रवार को अंजड़ के समीप डूब प्रभावित गांव छोटा बड़दा में कही। यहां लोगों की बातें सुनकर पूर्व न्यायाधीश वीडी ज्ञानी ने कहा कि आप शिकायत करो कि मेरा प्लॉट चोरी हो गया।

जन अदालत के पूर्व शुक्रवार को मप्र, राजस्थान और कर्नाटक हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों ने डूब प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ताओं के साथ डूब प्रभावित क्षेत्रों का दौरा धार जिले के खलघाट से प्रारंभ हुआ। इस दौरान यहां लोगों से चर्चा कर हकीकत भी जानी। खलघाट से ये सभी धरमपुरी और फिर यहां से सेमल्दा पहुंचे। सेमल्दा में प्रभावितों से बातचीत के बाद बड़वानी जिले के छोटा में एक सभा हुई। यहां लोगों ने बांध और डूब की हकीकत के साथ भ्रष्टाचार, रेत खनन और गांवों के गलत सर्वे की जानकारी इन्हें दी। इसके बाद ये पिपरी पहुंचे। राजस्थान के पीसी जैन, कर्नाटक के नाग मोहन दास और मप्र वीडी ज्ञानी ने प्रभावितों क्षेत्रों के लोगों से कई जानकारियां ली।

पुनर्वास स्थलों पर न बिजली और न पानी
मांगीलाल यादव ने कहा कि पुनर्वास स्थलों पर न बिजली है और न ही पानी की सुविधा है। आज भी लोग मूल गांवों में ही रह रहे हैं। एनवीडीए ने जीरो बैलेंस की गलत जानकारी कोर्ट में पेश की है। बड़दा के भगवान पाटीदार ने कहा कि सर्वे गलत तरीके से हुआ है। जो मकान नीचे हैं, उसे डूब से बाहर बता रहे हैं और ऊंचाई पर स्थित मकानों को डूबो रहे हैं। राधेश्याम कुम्हार ने इन्हें बताया कि पहले मिट्टी के बर्तन और ईटें नर्मदा किनारे की मिट्टी से बनाते थे। अब डूब ने धंधा चौपट कर दिया। हम लोग पढ़े-लिखे तो हैं नहीं जो कोई दूसरा काम कर सकें।

सातवीं के बच्चे से पुछा ये क्या हो रहा है…?
छोटा बड़दा में सभा के दौरान जब प्रभावित अपनी पीढ़ा सुना रहे थे तो यहां कक्षा सातवीं में पढ़ने वाला विनोद पटेल भी बैठा हुआ था। तब न्यायाधीश वीडी ज्ञानी से उसे पास बुलाकर पुछा कि ये क्या हो रहा है, तुम्हें पता है। तो उसने जवाब दिया कि आंदोलन है, डूब के खिलाफ। न्यायाधीश ने कहा कि तेरा घर तो डूब जाएगा तो बच्चे ने कहा घर नहीं डूबना चाहिए, इसके लिए लड़ेंगे।

रेत माफिया ने किया खोखला
नर्मदा के तटों पर हो रहे रेत खनन और उससे गांव को होने वाले नुकसान के बारे में बताते हुए लोगों ने कहा कि सन 1994 में जो डूब आई थी, वैसी बाढ़ अभी आए तो पूरे गांव को खतरा है। बड़दा के नरेंद्र यादव ने बताया कि रेत खनन से बहुत नुकसान हुआ है। रेत माफियाओं ने अपनी गुंदागर्दी के दम पर गांव के आसपास खनन किया।

मिला 445 रूपए मुआवजा
लोगों ने बताया कि गांवों का सर्वे करने वाले अपनी मर्जी से सर्वे करके चले जाते हैं। हमने सर्वे का भी विरोध किया है। बड़दा के लोगों ने बताया कि यहां एक व्यक्ति को 445 रूपए मुआवजा मिला है। इस पर जजों की टीम ने कहा कि ऎसा मामला सेमल्दा में भी है। वहां पर एक प्रभावित को 397 रूपएका मुआवजा दिया है।

आज होगी जन अदालत
सत्याग्रह स्थल पर शनिवार को जन अदालत में प्रभावित अपनी हकीकत बयां करेंगे। राजघाट में शनिवार को बांध प्रभावित पहुंचकर अपनी समस्याओं को बताएंगे। यहां पर राजस्थान के पीसी जैन, कर्नाटक के नाग मोहन दास, मप्र वीडी ज्ञानी और एनके मोदी प्रभावितों से चर्चा करेंगे।
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