टीम वर्क के दम पर भाजपा ने दिखाया दम, खराब मैनेजमेंट और अपनों से ही हारी कांग्रेस
बड़वानी
Updated: June 26, 2022 01:48:04 pm
विशाल यादव...
सेंधवा.
त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में परिणाम अप्रत्याशित मिलने से राजनीतिक गलियारों में जमकर चर्चा हो रही है। 7 साल के बाद हुए पंचायत चुनाव में जिपं चुनाव में सेंधवा में कमल खिला। वहीं कांग्रेस अपनी पर परंपरागत सीट भी नहीं बचा पाई है। खराब मैनेजमेंट और अंदरूनी कलह कांग्रेस की हार का मुख्य कारण बताया जा रहा है। जिपं चुनाव में चार में से तीन सीटों पर विजय मिलने पर अब भाजपा सेंधवा विधानसभा में ड्राइविंग सीट पर पहुंच गई है। हालांकि भाजपा की जीत का मुख्य कारण टीम वर्क रहा है।
झोपाली और बलवाड़ी में कांग्रेस को मिली मात
त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की शुरुआत से ही कांग्रेस रंग में नहीं दिख रही थी। जिसका फायदा भाजपा को मिला है। अंदरूनी कलह और टिकट के गलत निर्णयों की वजह से कांग्रेस ने झोपाली और बलवाड़ी जैसे अपने गढ़ खो दिए है। झोपाली में भाजपा के भाईदास महारिया ने सिलदार सोलंकी को हराया। झोपाली में पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुखलाल परमार, विधायक पुत्र राकेश रावत हार गए। वार्ड 9 में कांग्रेस के 3 उम्मीदवार और भाजपा का सिर्फ एक उम्मीदवार मैदान में था। बलवाड़ी क्षेत्र बड़ा उलटफेर देखने को मिला। यहां विधायक की पत्नी और जिला पंचायत अध्यक्ष लतादेवी रावत को भाजपा समर्थित लेदलीबाई पति नेवालिया ने हरा दिया। इस तरह विधायक के परिवार के दो बड़े उम्मीदवार हार गए।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष परमार हार गए चुनाव
झोपाली में कांग्रेस के ही कद्दावर नेता सुखलाल परमार और सिलदार सोलंकी हार गए। टिकट नहीं मिलने से नाराज सुखलाल परमार ने स्वतंत्र चुनाव लड़ा था और जीत का दावा किया था, लेकिन वह चुनाव हार गए है। वार्ड 11 में राजकला पति मोंटू सोलंकी ने जीत दर्ज करके कांग्रेस को खुश होनेे का अवसर दिया है। वार्ड 12 में पूर्व कैबिनेट मंत्री अंतर सिंह आर्य की पुत्र वधू कविता विकास आर्य चुनाव जीती है। पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष की पत्नी और वर्तमान महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष सुभद्रा परमार को जनता ने नकार दिया। वह कविता आर्य के सामने चुनौती दे रही थी।
घरेलू महिला ने जिपं अध्यक्ष को हराया
वार्ड 10 जो कांग्रेस के परंपरागत सीट रही है। इस सीट पर जो परिणाम आए है। उसने सभी को चौका दिया है। बलवाड़ी क्षेत्र में विधायक ग्यारसी लाल रावत का वर्चस्व हमेशा से रहा है, लेकिन इस बार उनका जादू नहीं चला। वहांं से भाजपा की लेदली बाई पति नेवालिया दादा ने लतादेवी को हराकर चुनाव जीता है। नेवालिया दादा भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे है। हालांकि कुछ वर्ष पूर्व उनका निधन हो चुका है। नेवालिया दादा के परिवार मो भाजपा ने समर्थन दिया था। कांग्रेस के कई नाराज नेताओं ने विधानसभा की अन्य सीटों की बजाए वार्ड 11 में राजकला मोंटू सोलंकी का चुनाव प्रचार किया। अब नेता राजकला सोलंकी की जीत का श्रेय लेने की होड़ लगा रहे है। चर्चा ये भी है कि मोंटू सोलंकी पिछले कई वर्षों से जयस संगठन के लिए राजनीति कर रहे थे। वहीं उनकी पत्नी राजकला भी आदिवासी मुद्दों की राजनीति में सक्रिय रही है। सोलंकी दंपति पिछले कई वर्षों से अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने में लगे हुए थे। चाचरिया क्षेत्र में उनकी जीत पहले से तय मानी जा रही थी।
टीम वर्क से जीती भाजपा
जिपं चुनाव में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। टीम वर्क के भरोसे पार्टी के सभी प्रत्याशियों ने दमदार भूमिका रही चार सीटों में से तीन पर भाजपा का परचम लहराया है। खास बात है कि जिन सीटों पर भाजपा कमजोर लग रही थी, उस पर भी अच्छा प्रदर्शन किया। हालांकि कांग्रेस की गुटबाजी भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हुई। वार्ड 9, 10 और 12 में भजपा ने सीधे कांगेस उम्मीदवारों को हराते हुए एकतरफा कब्जा कर लिया है। भाजपा में जश्न का माहौल है। कांग्रेस में गुटबाजी और अंतरकलह का सीधा फायदा भाजपा ने उठाया। मिनी विधानसभा चुनाव कहे जाने वाले जिपं चुनाव में भाजपा और कांग्रेस का प्रदर्शन जिले की अन्य सीटों पर भी प्रभाव डालेगा। अधिकृत आंकड़ों की घोषणा नहीं हुई है।
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