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मुख्यमत्री ने स्कूलों की हालत बदलने के लिए कायाकल्प योजना के अंतर्गत करोड़ों का बजट जारी किया और गांव के विकास से पहले स्कूलों के कायाकल्प के आदेश दिये थे। इन आदेशों का कागजों में तो खूब पालन किया गया। लेकिन जमीन पर हालात नहीं बदले। अब कायाकल्प योजना में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद सरकार की नीति पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। बागपत जनपद में कायाकल्प के नाम पर कारोड़ों का फर्जीवाड़ा कर सरकार को बदनाम करने का पलीता लगा रहे हैं। इस फर्जीवाड़े का पता उस समय चला, जब जिला विकास अधिकारी ने परिषदीय विद्यालयों का निरीक्षण किया।
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जिला विकास अधिकारी हुबलाल सिंह के निरीक्षण के दौरान इस घोटाले की पोल खुली। हुबलाल सिंह की माने तो निरीक्षण का कार्यक्रम निर्धारित था, जिसके अनुसार खेकड़ा ब्लॉक के रटौल और काठा गांव में स्कूलों का निरीक्षण किया गया। रटौल के स्कूल में जहां 8 पानी की टंकिया रखी गई थी, जो 200-200 लीटर की थी। इन टंकियों में लगाई गई पानी की टोटीयां तक टूटी हुई थी। उन्होंने बताया कि शोपीस की तरह टंकी रखी हुई थी। जहां दो या तीन की आवश्यकता थी। वहां पर 8-8 टंकी लगा दी गई। काठा गांव में भी दो स्कूलों में 12 टंकी खरीद ली गई। कर्मचारियों से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि 65 – 65 हजार से ऊपर कीमत की टंकियां खरीदी गई हैं, जबकि वास्तविक मूल्य उनका 8 से दस हजार रुपए ही है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है अन्य गांवों में भी इस तरह का फर्जीवाड़ा किया गया है। जनपद में करीब 100 से ज्यादा गांव में अब तक यह पानी की टंकी लगाई गई हैं। इन सभी में भी इस तरह से घोटाला किया गया है। यानी ऑपरेशन कायाकल्प के नाम पर बड़ा घोटाला किया गया है। उन्होंने बताया कि अभी इसमें और विस्तृत जांच की जरूरत है, जिला विकास अधिकारी की माने तो मामले में अगर उच्च लेवल की जांच हो जाएगी तो और बड़े घोटाले का मामला सामने आ सकता है।