सोमवार को जेल से दो बंदी तारीख पर कोर्ट में आए थे। वहां पर पुलिस कर्मियों की सांठगांठ से बंदियों के परिजन उनसे मुलाकात करने में कामयाब रहे। मुलाकात के दौरान लोनी के बंदी को परिजनों ने करीब तीन सौ ग्राम सुल्फा दिया और बागपत के बंदी को परिजनों ने मोबाइल फोन थमा दिया। बंदियों ने गुप्तांग के रास्ते सुल्फा व मोबाइल पेट में छिपा लिए और जेल के अंदर चले गए।
देर रात करीब दस बजे जब बंदियों को पेट दर्द की शिकायत हुई तो उन्हें जेल अस्पताल में डाक्टरी चिकित्सा उपलब्ध कराई गई। इस दौरान बंदियों ने डाक्टर को इस संबंध में जानकारी दी। इसके बाद डाक्टरों ने उनके पेट से मोबाइल व सुल्फे की पुड़िया निकालने का प्रयास किया। सुल्फे की पुड़िया तो डाक्टर ने गुप्तांग के रास्ते ही निकालने में सफल हो गए। लेकिन मोबाइल को लेकर काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा।
डाक्टर कई घंटे की मशक्कत के बाद आधुनिक उपकरणों की मदद से बंदी के पेट से गुप्तांग के रास्ते से ही मोबाइल निकालने में कामयाब हो गए। इसके बाद जहां बंदियों को राहत मिली, वहीं जेल प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है। जेल अधीक्षक सुरेश कुमार के अनुसार इस बात का पता लगाया जा रहा है कि बंदियों के पास सुल्फा व मोबाइल कैसे पहुंचा।