यह भी पढ़ें- Sambhal: मस्जिद से अजान की आवाज आते ही रोक दिया गया आरएसएस का कार्यक्रम उन्होंने कहा कि सवाल नागरिकता कानून का नहीं है। नागरिकता कानून तो इससे पहले भी देश में था, जो बंटवारे के वक्त खुद भागकर, बचकर यहां पहुंचे थे उनको नागरिकता देना किसी को भी गलत नहीं लगता। उन्होंने कहा कि पुराने कानून में भी प्रावधान था, जिसमें सरकार को नागरिकता देने का अधिकार था। लेकिन, उनको तो माहौल बनाना था। आसाम और बंगाल में हिन्दू-मुस्लिम की भावना तेज करनी थी। उस उद्देश्य से ही यह कानून लाया गया। उन्होंने कहा कि ये नागरिकता की बात नहीं भय और डर एनआरसी को लेकर है। यूपी-बिहार के गरीब लोग सड़कों पर रात गुजारकर मुम्बई और दिल्ली में मजदूरी कर अपना पेट भरने के लिए इमारतें खड़ी करते हैं। उन लोगों के पास कागज कहां होंगे।
वहीं उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुए बवाल और आगजनी पर कहा कि चौधरी अजित सिंह और हम लोग देश का बंटवारा कराने वालों के साथ नहीं खड़े हैं। मैं यूपी में घूमा था तो इसलिए कहता हूं कि दोनों पहलुओं को देखना चाहिए। वहीं उन्होंने फिल्मों को लेकर राजनीति करने पर कहा कि मैंने कभी फिल्में नही देखी, लेकिन इसका भी हिस्सा बनना पड़ा। उन्होंने कहा कि मैं छपाक फिल्म इसलिए देखने गया, क्योंकि जिस तरह से किसी को दबाया जा रहा है वह गलत है। सबको आजादी का हक होता है। विश्वविद्यालय में उन्हें पीटा जा रहा है, आंसू बम फोड़े जा रहे है। इससे वहां के छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।