बागपत

Kargil Vijay Diwas : 19 पाक सैनिकों को मारकर शहीद हो गए थे राजेंद्र सिंह, जानिए क्‍या है उनके माता-पिता का हाल- देखें वीडियो

बागपत के खेकड़ा थाना क्षेत्र के रहने वाले थे शहीद राजेंद्र सिंह
सरकार ने अब तक नहीं दी खेती के लिए जमीन
शहीद के परिवार को मिल चुके हैं फंड, पेंशन और पेट्रोल पंप

 
 

बागपतJul 26, 2019 / 10:55 am

sharad asthana

Kargil Vijay Diwas : 19 पाक सैनिकों को मारकर शहीद हो गए थे राजेंद्र सिंह, जानिए क्‍या है उनके माता-पिता का हाल- देखें वीडियो

बागपत। जब भी कभी कारगिल युद्ध ( Kargil War ) का इतिहास याद किया जाएगा तो उसमें बागपत का नाम भी शामिल होगा। इस जनपद के कई जवानों ने कारगिल में शहादत दी थी। खेकड़ा के जवान राजेंद्र सिंह धामा ने कारगिल युद्ध ( Kargil War ) में अपनी वीरता के झंडे गाड़े थे। उन्होंने द्रास ( Drass Kargil ) सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों के छक्के छुड़ाते हुए बलिदान दिया था। राजेंद्र सिंह के पिता कहते हैं कि उनके बेटे ने 19 घुसपैठियों को मौत के घाट उतार दिया था। शहादत के बाद सरकार ने उनके परिवार को कृषि भूमि देने का वादा किया था, जो आज तक पूरा नहीं किया गया।
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इंटर के बाद ज्‍वाइन की थी आर्मी

राजेंद्र सिंह धामा खेकड़ा के मोहल्ला रामपुर के रहने वाले मास्टर जयसिंह के पुत्र थे। इंटर तक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्‍होंने आर्मी ज्‍वाइन कर ली थी। वर्ष 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कारगिल क्षेत्र में पहाड़ियों पर कब्जा जमा लिया था। उनको खदेड़ने के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय ( Operation Vijay ) चलाया था। इस ऑपरेशन में राजेंद्र सिंह धामा भी शामिल थे। उनकी बटालियन को द्रास सेक्टर में लगाया गया था। 26 जुलाई 1999 को राजेंद्र सिंह धामा ने पाकिस्तानी सेना से लोहा लेते हुए बलिदान दिया था। इससे पहले उन्‍होंने 19 घुसपैठियों को मौत के घाट उतार दिया था। सिर में गोली लगने के कारण राजेेंद्र सिंह वीरगति को प्राप्त हुए थे।
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सरकार ने किए थे ये वादे

कारगिल युद्ध ( Kargil War ) के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। तब सरकार ने राजेंद्र सिंह धामा के परिवार को शहीद फंड के अलावा पेट्रोल पंप, पत्‍नी व माता-पिता की पेंशन और कृषि भूमि देने का वादा किया था। फंड, पेंशन और पेट्रोल पंप तो शहीद के परिवार को मिल चुके हैं। उनकी पत्नी मुनेश देवी और पुत्र हिमांशु पेट्रोल पंप की देखभाल करते हैं। वे परिवार के साथ ही गाजियाबाद में रहते हैं। पेंशन और पेट्रोल पंप की आय से उनका जीवन भी अच्छे से व्यतीत हो रहा है। बस पीड़ा उन्हें कृषि भूमि न मिलने की है। राजेंद्र सिंह धामा के पिता जयसिंह का कहना है कि सरकार ने नौ बीघा जमीन देने का वादा किया था, जिसे अभी तक भी पूरा नहीं किया गया है।
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