यह भी पढ़ें: Kargil Vijay Diwas 2019 पर सीएम योगी ने दी शहीदों को श्रद्धांजली, जानिये राजधानी के कारगिल हीरोज के बारे में इंटर के बाद ज्वाइन की थी आर्मी राजेंद्र सिंह धामा खेकड़ा के मोहल्ला रामपुर के रहने वाले मास्टर जयसिंह के पुत्र थे। इंटर तक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने आर्मी ज्वाइन कर ली थी। वर्ष 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कारगिल क्षेत्र में पहाड़ियों पर कब्जा जमा लिया था। उनको खदेड़ने के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय ( Operation Vijay ) चलाया था। इस ऑपरेशन में राजेंद्र सिंह धामा भी शामिल थे। उनकी बटालियन को द्रास सेक्टर में लगाया गया था। 26 जुलाई 1999 को राजेंद्र सिंह धामा ने पाकिस्तानी सेना से लोहा लेते हुए बलिदान दिया था। इससे पहले उन्होंने 19 घुसपैठियों को मौत के घाट उतार दिया था। सिर में गोली लगने के कारण राजेेंद्र सिंह वीरगति को प्राप्त हुए थे।
यह भी पढ़ें: Kargil Vijay Diwas: ऐसे ही नहीं मिली Kargil War में जीत, ये अपने जो लौट के फिर न आये, पढ़िये ये स्पेशल रिपोर्ट सरकार ने किए थे ये वादे कारगिल युद्ध ( Kargil War ) के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। तब सरकार ने राजेंद्र सिंह धामा के परिवार को शहीद फंड के अलावा पेट्रोल पंप, पत्नी व माता-पिता की पेंशन और कृषि भूमि देने का वादा किया था। फंड, पेंशन और पेट्रोल पंप तो शहीद के परिवार को मिल चुके हैं। उनकी पत्नी मुनेश देवी और पुत्र हिमांशु पेट्रोल पंप की देखभाल करते हैं। वे परिवार के साथ ही गाजियाबाद में रहते हैं। पेंशन और पेट्रोल पंप की आय से उनका जीवन भी अच्छे से व्यतीत हो रहा है। बस पीड़ा उन्हें कृषि भूमि न मिलने की है। राजेंद्र सिंह धामा के पिता जयसिंह का कहना है कि सरकार ने नौ बीघा जमीन देने का वादा किया था, जिसे अभी तक भी पूरा नहीं किया गया है।
UP News से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Uttar Pradesh Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर