कायाकल्प योजना के तहत स्कूलों में पानी की टंकिया रखी गई। ताकि बच्चों को स्वच्छ पानी मिल सके। पानी की टंकियों को मार्किट रेट से अधिक दामों पर खरीदा गया। यहां तक की इन टंकियों को लगाने का कार्य ठीक से नहीं किया गया। अधिकारियों की माने तो जमीन पर पानी की टंकेियां रखी गई और कई रटौल के स्कूल मेंं जरूरत से ज्यादा पानी की टंकियां रखी गई। हालत यह है कि अधिकांश स्कूलों में पानी की टंकी का लाभ बच्चों को नहीं मिल पाया।
जून 2018 में टंकी लगाने का कार्य शुरू किया गया। लेकिन एक साल से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी बच्चों को पानी नसीब नहीं हुआ। लेकिन अधिकारियों और कंपनियों ने खूब पैसा बटौरा। आरोप है कि ग्राम पंचायत स्तर पर होने वाले कार्य निजी कंपनियों से कराकर करोडों का खेल कर दिया गया। यह खेल उस समय उजागर हुआ, जब जिला विकास अधिकारी हुब लाल ने कई गांवों में हुए विकास कार्यो का निरीक्षण किया। जिला विकास अधिकारी की जांच में सामने आया है कि अधिक रेट पर पानी की टंकियां खरीदी गई। करोडों खर्च करने के बाद पाइप फिटिंग खराब, टोटियां खराब, जरूरत से ज्यादा पानी की टंकियां रखने के साथ-साथ मार्किट रेट से ज्यादा दामों पर पानी की टंकिया खरीदी गई।
मामला कमिश्नर मेरठ मंडल अनीता मेश्राम तक पहुंचा तो डीएम शकुंतला गौतम ने जल निगम और जिला विकास अधिकारी से जांच रिपोर्ट मांगी। हालांकि, जिला विकास अधिकारी जांच रिपोर्ट डीएम को सौंप चुके हैं। लेकिन इस रिपोर्ट को अभी तक उजागर नहीं किया गया है। जिला विकास अधिकारी हुब लाल ने बताया कि जांच में कमी सामने आई है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।