scriptपत्रिका अभियान: योगीराज में 22 पेयजल योजनाओं के बावजूद स्वच्छ पानी के लिए तरस रहे लाखों लोग, देखें वीडियो- | Millions of people demand for clean water in baghpat | Patrika News

पत्रिका अभियान: योगीराज में 22 पेयजल योजनाओं के बावजूद स्वच्छ पानी के लिए तरस रहे लाखों लोग, देखें वीडियो-

locationबागपतPublished: Dec 16, 2018 01:19:51 pm

Submitted by:

lokesh verma

हिंडन और अवैध फैक्ट्रियों के प्रदूषण के कारण बागपत में 170 फीट गहराई तक भी पीने योग्य नहीं रहा पानी

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पत्रिका अभियान: योगीराज में 22 पेयजल योजनाओं के बावजूद स्वच्छ पानी के लिए तरस रहे लाखों लोग, देखें वीडियो-

बागपत. बागपत में स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन लाख दावे कर करा है। जिला प्रशासन की मानें तो जिले में 22 पेयजल योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद ये योजनाएं ग्रामीणों की प्यास नहीं बुझा पा रही हैं। अलम यह है कि लोगों को पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है। प्रदूषित पेयजल के कारण जिले के 380 गांवों में पानी खरीदकर लोग प्यास बुझा रहे हैं। जिले में लगे आरओ प्लांट लोगों के घर तक पानी भेजने का काम कर रहे हैं।
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गौरतलब है कि बागपत में पीने के पानी की खराब स्थिति को देखते हुए दो साल पहले एनजीटी ने लाल निशान वाले 555 हैंडपंप उखाड़ने के निर्देश दिए थे। इसमें भी विभागीय अधिकारियों ने लापरवाही बरती और 130 हैंडपंप ही उखाड़ पाए। एनजीटी ने यह भी आदेश दिए थे कि हैंडपंप उखाड़ने के बाद ग्रामीणों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराया जाए, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने कागजी खेल कर 130 हैंडपंप उखाड़कर एनजीटी को अपनी रिपोर्ट भेज दी। पीने के पानी की भी बेहतर व्यवस्था नहीं हो सकी। दो साल बाद भी यहां के लोग स्वच्छ पानी को तरस गए हैं। यह कहानी उन 55 गांवों की है जहां हिंडन नदी के किनारे बसे लोग भूजल दूषित होने से परेशान हैं। हिंडन के प्रकोप से 55 गांव प्रदूषण का शिकार हो रहे हैं। कैंसर और त्वचा रोग जैसी बीमारी लोगों को अपना शिकार बना रही है।
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जिले में जांच के दौरान पानी में आर्सेनिक जैसे कई प्रकार के घातक कैमिकल पाए गए हैं। इसके बाद मेरठ मंडलायुक्त प्रभात कुमार को जल प्रदूषण मामले को गंभीरता से लेना पड़ा और निर्मल हिंडन अभियान की शुरुआत की। इसी कड़ी में सभी वर्ग के लोगों का सहयोग प्रभात कुमार को मिला और काफी हद तक डिंडन नदी को साफ कराया गया। बता दें कि अभी हिंडन किनारे बसे गांवों के लोगों को जल प्रदूषण से बचाने के उपाय चल ही रहे हैं कि खेकड़ा और बागपत के आसपास 100 से ज्यादा कपड़ों की रंगाई की फैक्ट्रियां खुल गईं, जो लगातार जल को प्रदूषित कर रही हैं। प्रदूषण विभाग की अनदेखी और जिला उद्योग केंद्र द्वारा बिना मानक पूरे किए ही इन फैक्ट्रियों को चलाने की अनुमति दे दी गई। इन फैक्ट्रियों को एक साल हो चुका है, लेकिन प्रदूषण विभाग अपनी आंखें मूंदे बैठा है। इस कारण बागपत और खेकड़ा के लाखों लोगों के जीवन पर खतरा मंडराने लगा है। यहां 170 फीट गहराई तक पानी पीने योग्य नहीं रह गया है। हैंडपंपों का पानी भी जवाब दे चुका है।
बता दें कि जल निगम ने ग्राम प्रधानों को किट देकर पानी की जांच करने के लिए कहा था, लेकिन इस झमेलेे में कोई नहीं पड़ना चाहता है। इन फैक्ट्रियों के प्रदूषण को लेकर भले ही आज जिला प्रशासन चिंतित न हो, लेकिन आने वाले समय में यह विकराल रूप लेने वाला है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली की भांति बागपत के लोगों को पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है।
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वहीं मुख्य विकास अधिकारी पीसी जायसवाल का कहना है कि 22 पेयजल योजनाओं के जरिये पानी उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन पानी को प्रदूषण के बचाने का जवाब उनके पास भी नहीं है। वहीं एसडीएम पुल्कित गर्ग का कहना है कि जल प्रदूषण की समस्या गंभीर है। इससे निबटने के लिए ऐसे उद्योगों पर लगाम लगानी जरूरी है, जो जल को प्रदूषित कर रहे हैं। इसके साथ-साथ ग्रामीणों को भी इसके लिए जागरूक होना होगा।
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