यहां पर रहने वाले पुजारी बिजेंदर भारद्वाज का कहना है इस मंदिर में नाग देवता (Naag Devata) दर्शन देते हैं और दर्शन भी ऐसे देते हैं कि एक पल में दिखाई देते हैं और दूसरे ही पल गायब भी हो जाते हैं। उन्होंने भी यहां पर कई बार नाग देखे हैं। यहां आने जाने वालों ने भी उनके दर्शन किए हैं। इसलिए इस मंदिर का निर्माण हुआ था। यह नाग देवता हैं और यह लोगों को दर्शन देते हैं। इसलिए उनके नाम से ही मंदिर का निर्माण कराया जाए। भंडारे के दिन भी नाग देवता आ कर भोग ग्रहण करते हैं और तभी भंडारे को सफल माना जाता है। पिछली बार भंडारे पर भी नाग देवता ने दर्शन दिए थे और भोग ग्रहण कर चले गए।
वहीं ग्राम प्रधान का कहना है कि यहां नाग बहुत निकलते हैं और खत्री लोग यहां भले ही नाग पंचमी के दिन न आते हो, लेकिन स्थानीय लोग यहां आकर पूजा अर्चना करते हैं। नाग देवता दर्शन देते हैं और अंतर्ध्यान हो जाते हैं। नागदेव दर्शन जरूर देते हैं और उनके बाद ही भंडारे का भोग लगता है। यह बहुत प्राचीन मंदिर है। हम बचपन से ही इस मंदिर के बारे में सुनते आ रहे हैं। 100 साल से भी ज्यादा पुराना यह मंदिर है। यह खत्री लोगों का मंदिर है और वही लोग आकर यहां पर भंडारा करते हैं। इस मंदिर में खीर का भंडारा करते हैं और आरारोट का भंडारा करते हैं। जो बहुत ही स्वादिष्ट बनता है।