कोरोना के चलते मौसम में हुआ बदलाव तो आम ने खोई अपनी मिठास, जानिए कैसे
Highlights:
-खेकड़ा क्षेत्र में आम के बागों की फसल किसानों के लिए हर साल घाटे का सौदा होती जा रही है
-रविवार को हुई बारिश से आम की फसल को नुकसान पहुंचा है
-किसानों का कहना है कि उनकी मेहनत खराब हो गई

बागपत। कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर में तमाम फैक्ट्रियां व कारखाने बंद हो गए हैं। जिसके चलते तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई है। उधर, अप्रैल व मई माह में मौसम में भी लगातार बदलाव देखने को मिल रहा है। जिससे मौसम वैज्ञानिक भी हैरान हैं। उधर, जनपद में रविवार देर शाम को आयी तेज आंधी के कारण आम के बागों में भारी नुकसान हुआ है। आम बागान मालिकों का कहना है कि इस बार अच्छी फसल आयी थी लेकिन मौसम की मार के कारण उनको नुकसान झेलना पड़ गया। इस समय आयी आंधी से छोटा आम झड गया, जिसको बाजार में भी नहीं बेचा जा सकता है।
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दरअसल, बागपत जनपद में खेकडा क्षेत्र आम के बागों की फसल किसानों के लिए हर साल घाटे का सौदा होती जा रही है। फल पटटी क्षेत्र घोषित होने के बाद भी यहां पर ईंट के भटटों का लग जाना आम के बागों पर भारी पड़ गया। आरोप है कि इसके कारण आम के पेड़ खराब होने शुरू हो गये और प्रदूषण के प्रभाव से आम की फसले भी प्रभावित होने लगी। लेकिन किसानों ने हार नहीं मानी, लेकिन अब मौसम की मार ने किसानों को और भी रूलाकर रख दिया है।
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रविवार को देर रात आयी आंधी और बारिश के कारण आम की आधी फसल गिर गयी। जिसके कारण आम बागान मालिकों को भारी नुकसान हुआ है। मुबारिकपुर निवासी किसान रमेश प्रधान का कहना है कि 40 बिघा जमीन पर आम का बाग है। लेकिन हर साल बाग में केवल घाटा ही होता है लेकिन फिर भी आम के बाग में मेहनत कर हर साल अच्छे मुनाफे का सपना देखकर उम्मीद करते है कि शायद अगली बार मुनाफा हो। लेकिन हर साल उनको घाटा ही होता जा रहा है। अब मौसम की मार से भी उनको नुकसान हुआ हैं और करीब आधी फसल नष्ट हो गयी है।
वहीं रटौल निवासी हबीब खान का कहना है कि आम की फसल को बचाने के लिए कीटनाशकों और खुदाई पिटाई में अच्छा खर्च आता है। फसल पाने के लिए करना भी पड़ता है। लेकिन बारिश के साथ आयी आंधी ने सब फसल नष्ट कर दी अब लागत भी वापस आये कहा नहीं जा सकता है। फसल भी अभी छोटी है इसलिए बाजार में भी नहीं बेची जा सकती जिससे कुछ लाभ हो जाता।
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