लोकसभा चुनाव 2019: सपा-बसपा के बाद यूपी में इन बड़ी राजनीतिक पार्टियों के बीच तैयार हुआ एक आैर बड़ा गठबंधन!
इस चुनाव में गठबंधन में लड़ने के बाद यहां मिली थी हार
दरअसल 1993 में सपा आैर बसपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान गठबंधन किया था। इस गठबंधन में सपा आैर बसपा ने बागपत लोकसभा क्षेत्र में आने वाली पांचों विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, लेकिन परिणाम निराशाजनक था।इसकी वजह चार सीटों में गठबंधन की हार होना था।इतना ही नहीं इन चारों सीटों पर उनके प्रत्याशियों की जीत तो दूर किसी नंबर पर ही नहीं थे।इसकी वजह इस सीट पर भाजपा आैर रालोद का वर्चस्व होना था।उस समय बरनावा विधानसभा सीट पर भाजपा के स्वर्गीय त्रिपाल धामा ने जीत दर्ज की थी। वहीं दूसरे नंबर पर जनता दल के प्रत्याशी सतेंद्र सोलंकी थे।वहीं बागपत विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने भाजपा को हरकार जीत दर्ज की थी।वहीं छपरौली विधानसभा सीट पर जनता दल ने भाजपा को हराकर जीत दर्ज की थी।वहीं बागपत लोकसभा क्षेत्र में ही आने वाली सिवालखास सीट पर जनता दल ने सीट जीती थी। वहीं सपा के मदन भैया ने खेकड़ा विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी।वहीं 2014 लोकसभा चुनाव में भी बागपत में कुछ एेसा ही नजारा दिखा।
इन आकड़ों को देखते हुए लोग सपा आैर बसपा के गठबंधन को बता रहे अधूरा
वहीं बागपत क्षेत्र के लोगों की माने तो सपा आैर बसपा का गठबंधन अधूरा है।इसकी वजह बागपत समेत पश्चिम के कर्इ जिलों में रालोद का अच्छा वर्चस्व होना है।राजनीति को समझने व जानने वाले कुछ लोगों ने कहा कि लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा को मात देने के लिए सपा आैर बसपा गठबंधन में रालोद को भी शामिल करना चाहिए।जिससे वह दूसरी पार्टी को टक्कर दे सकें।