बागपत

महाभारत के बारे में जानने के लिए Baghpat पहुंची Polland की टीम, Research Project पर करना चाहती है काम

Highlights:
-शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक डॉ अमित राय जैन से मिलने Baghpat पहुंचे
-उन्होंने संस्थान में संग्रहित प्राचीन पांडुलिपियों, प्राचीन नक्शा और महाभारत कालीन शोध सामग्री देखी
-उन्होंने इच्छा जताई है कि वह संस्थान के साथ मिलकर अपने शोध कार्यों को आगे बढ़ाएंगे

बागपतDec 06, 2019 / 06:39 pm

Rahul Chauhan

बागपत। पोलैंड निवासी फिलिप अपनी यूनिवर्सिटी ऑफ वारसा पोलैंड (University of Warsaw Poland) की टीम के साथ महाभारत (Mahabharat) पर चल रहे शोध (Research) को जानने के लिए शुक्रवार को शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक डॉ अमित राय जैन से मिलने बागपत (Baghpat) पहुंचे। इस दौरान उन्होंने संस्थान में संग्रहित प्राचीन पांडुलिपियों, प्राचीन नक्शा और महाभारत कालीन शोध सामग्री देखी। उन्होंने इच्छा जताई है कि वह शहजाद राय शोध संस्थान के साथ मिलकर अपने शोध कार्यों को आगे बढ़ाएंगे और एक विशेष महाभारत की सच्चाई प्रोजेक्ट पर काम करेंगे।
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बता दें कि पोलैंड निवासी फिलिप पिछले कई वर्षों से महाभारत और महाभारत की घटनाओं की सच्चाई को जगजाहिर करने के लिए शोध कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने संस्कृत और हिंदी जैसी भारतीय भाषाओं को लिखना और बोलना भी सीख लिया है। उन्होंने कई बार भारत का भ्रमण कर महाभारत से जुड़ी हर चीज का बारीकी से अध्यन किया है। अब उन्होंने अपने प्रोजेक्ट का पूरा ध्यान महाभारत कालीन पुरास्थल सिनौली और उसका उत्खनन का शुभारंभ कराने वाले शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक डॉ अमित राय जैन के द्वारा जुटाए गए शोध सामग्री पर कर दिया है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए डॉक्टर अमित राय जैन ने बताया कि काफी दिनों से फिलिप उनके संपर्क में थे। उन्होंने आमंत्रित करते हुए फिलिप को कहा कि वह स्वयं पुरास्थल का दौरा करें और महाभारत कालीन अन्य स्थलों का भी दौरा करें। फिलीप पहले ही प्राचीन कुरु गणराज्य की सभी सीमाओं का अध्ययन करने के लिए हस्तिनापुर पुरानी राजधानी, इंद्रप्रस्थ दिल्ली, सोनीपत, पानीपत, कुरुक्षेत्र आदि स्थलों का दौरा कर चुके हैं। जिसके बाद शुक्रवार को वह अपनी टीम के साथ बागपत के बड़ोत कस्बे में पहुंचे।
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इन दौरान उन्होंने महाभारत के आधार पर शोध करने वाले पोलैंड निवासी फिलिप ने शहजाद राय शोध संस्थान में संग्रहित प्राचीन पांडुलिपियों में वर्णित महाभारत की घटनाओं की फोटोग्राफी की और यहां संग्रहित प्राचीन मुद्राओं जिनमें विशेष रूप से कुरु जनपद की भारत की प्राचीनतम मुद्राओं को अपने कैमरे में कैद किया और अपने शोध में शामिल करने की बात कही। इस दौरान पोलैंड के एंड्रोजेज आदि कुछ अन्य शोधार्थी भी साथ में रहे। उन्होंने सिनौली जाकर भी अपने जिज्ञासा को शांत किया और पुरात्त्व से जुडी सभी जानकारी जुटायी।
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