आय की भरपाई कैसे होगी?
सूत्रों ने बताया कि चौमूं फल-सब्जी समिति में यूजर्स चार्ज के माध्यम से सालाना 2 से 2.50 करोड़ रुपए की आय होती थी। इससे बिजली, पानी की व्यवस्था समेत कार्यरत आधा दर्जन चौकीदार, दो होमगार्ड, तीन अन्य कार्मिक, गेट पास काटने वाले कर्मचारी, मंडी प्रबंधन स्टॉफ, लिपिक, सहायक की तनख्वाह व अन्य मदों का भुगतान किया जाता है। अब मंडी प्रबंधन की चिंता है कि वे इस सालाना आय में लगे इस फटके की भरपाई कैसे पूरी करें और मंडी संचालन, विकास कार्यों के मदों का भुगतान कैसे करेंगे। प्रदेश की अन्य मंडियों में भी इन मदों पर खर्च किया जाता था।
प्रदेश की मंडियों का हाल
प्रतापगढ़ मंडी में करीब 55 लाख रुपए की आय कम होगी। श्रीगंगानगर की फल सब्जियों पर यूजर्स चार्ज समाप्त करने से किसानों को वास्तविक रूप से कोई लाभ नहीं होगा। मंडी समितियों की इससे होने वाली आय जरूर बंद हो गई है। किसानों पर पहले भी किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लगता था, अब भी नहीं लगेगा। फल-सब्जी के थोक व्यापारियों को 6 रुपए सैंकड़ा की आढ़त पहले मिलती थी, अब भी उतनी मिलती रहेगी। श्रीगंगानगर की फल-सब्जी मंडी समिति को यूजर्स चार्ज बंद होने से रोजाना का लभगग एक लाख रुपए का राजस्व बंद हो गया है। अलवर फल-सब्जी मंडी में ढाई करोड रुपया वार्षिक राजस्व की हानि होगी। वहीं एशिया की सबसे बड़ी मंडी के नाम से पहचान रखने वाली जयपुर की मुहाना फल-सब्जी मंडी को यूजर्स चार्ज से करीब 30 करोड़ की सालाना आय होती है।
– मुख्यमंत्री की बजट घोषणा के बाद फल-सब्जी मंडियों में यूजर्स चार्ज खत्म कर दिया है। अब किसी भी मंडी में किसानों से यह चार्ज नहीं वसूला जाएगा। मंडियों के विकास व संस्थापन के बारे में भी सरकार कोई ना कोई व्यवस्था जरूर करेगी। हालांकि मंडियों में आय खत्म हो जाएगी।
महिपाल सिंह, क्षेत्रीय संयुक्त निदेशक
कृषि विपणन बोर्ड, जयपुर