मेडिकल के विद्यार्थियों ने बताया कि फिलीपींस में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के चलते स्कूल-कॉलेज बंद हो चुके हैं। फिलीपींस सरकार ने पूर्व में ७२ घंटे में देश छोडऩे के आदेश जारी किए थे। इसे लेकर कई भारतीय छात्र-छात्राओं ने भारत आने के लिए टिकट करवा लिए थे, लेकिन इसी दौरान भारत सरकार ने सीमा बंद करने के आदेश जारी कर दिए, जिसके चलते फिलीपींस से भारत आना मुश्किल है, जिसके चलते टिकट रद्द करवाने पड़े। कुछ छात्र-छात्राओं का गु्रप मंगलवार देर शाम फिलीपींस से हवाई जहाज में बैठकर भारत के लिए रवाना हो गए थे, लेकिन उनको मलेशिया में रोक दिया गया। हालांकि फिलीपींस सरकार ने ७२ घंटे (१९ मार्च तक) की बाध्यता खत्म करते हुए भारतीयों के लिए शिथिलता बरतते हुए छूट दी है कि यदि भारत सरकार भारतीय छात्र-छात्राओं को अपने देश बुलाने की अनुमति देती है तो उसे कोई परेशानी नहीं है। वहां की सरकार ने अब यह भी छूट दे दी है कि चाहें तो वे फिलीपींस में भी रुक सकते हैं।
छात्र राजेश कुमार गढ़वाल, विकास रोज, दयाल, रजत, पृथ्वी सैनी ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि वे भारतीय छात्रों की पीड़ा को समझ़े और यहां से सही सलामत भारत लाने की व्यवस्था करे। जिससे चिंताजनक हालात से निकला जा सके।
छात्र राजेश ने बताया कि फिलीपींस में रहने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन यदि कोई छात्र इसका रोगी हो जाता है तो उसका यहां रहना बड़ा मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि यहां इसका इलाज बहुत महंगा है। इसके अलावा वह भारत भी नहीं जा पाएगा। ये फिर अनुमति भी नहीं देंगे। फिलीपींस में अब तक १४ लोगों की मौत इस वायरस से हो चुकी है और सात लोग यहां ठीक हुए हैं। पहले ये स्थानीय देशवासी का इलाज करेंगे। बाद में भारतीय का। भारत सेफ है। वहां इलाज भी बेहतर हो रहा है। सब बच्चे भारत ही लौटना चाहते हैं।
छात्रों ने बताया कि यहां जितनी भी भारतीय कैंटीन थी। वे सभी लगभग बंद हो चुकी हैं। चूंकि अधिकतर बच्चों को खाना बनाना नहीं आता है। वे इन कैंटीन्स पर ही निर्भर थे। बाहर भारतीय खाना मिलता भी नहीं है। फिलीपींस खाना भी कफ्र्यू टाइम के बाद लाना पड़ता है। इसमें भी काफी रिस्क है। बच्चे क्या खाएंगे। इसे लेकर भी डर रहे हैं। जिन बच्चों ने भारत जाने के लिए टिकट बुक करवा ली थी। वे तो खाने का स्टॉक भी खत्म हो चुके हैं।